Thought of the day

Sunday, January 20, 2008

ज्योतिष में राजयोग

राजयोग भी एक ऐसा पक्ष है जहाँ स्वयं ज्योतिष वर्ग भी विभाजित है। कारण एक ही है – “मैं नहीं मानता”। तो बंधु हम भी कहाँ मना रहे हैं। केवल अपनी बात कहेंगे। वास्तविकता में परख करें। फिर भी कोई कमी रह जाए तो स्वस्थ चर्चा कभी भी हो सकती है। बहस और प्रतिस्पर्द्धा कदापि नहीं।

राजयोग के सही मायने क्या हैं! राजयोग है राजा के समान लाभ करने वाला योग – अगर भौतिक जीवन में देखें तो। अब यहां दो बातें और हैं – पहली कि योग फलेगा कितना और दूसरी कि फलीभूत कब होगा।

जहाँ तक सवाल है फलने का – तो स्पष्ट उत्तर है संबंधित दशाओं में। मेरे गुरू तो स्पष्ट चेतावनी देते हैं कि अगर संबंधित दशा नहीं आई तो योग धरा का धरा रह जाएगा।

अब ज्यादा महत्त्वपूर्ण प्रश्न है – कितना। उत्तर है - संदर्भों में खोजें। कुण्डली केवल राजयोग या अरिष्ट योग भर नहीं। अन्य योगों और लक्ष्णों को भी देखें।

एक उदाहरण से समझना सरल होगा – एक मजदूर का अपना एक कमरा बना लेना राजयोग है, आम आय के व्यक्ति का अपना सुख-सुविधाओं से लैस मकान बना लेना भी रजयोग है। पर एक धनाड्य का बंगला खरीद लेना भी एक साधारण बात हो सकती है।

केवल फल ही नहीं संदर्भ समझना भी आवश्यक है। आखिरकार हमारा यह जन्म है तो पूर्वजन्मों के कर्मों की नींव पर ही बना हुआ।


जरूर पढें –
मेरे ज्योतिष-गुरू के श्री मुख से

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