Thought of the day

Wednesday, November 7, 2007

क्या माँगू माँ तुमसे आज ...

जगमग जगमग दीप जले हैं
दीपों से उत्साह चले है
देखूँ जिस ओर भी आज
कौतूहल का ही है राज
क्या माँगू माँ तुमसे आज ...

रात अमावस मन हर्षाए
पूनम सी मादकता लाए
देखूँ जिधर माँ तूँ मुस्काए
कर लो अब बस तुम स्थिर वास
क्या माँगू माँ तुमसे आज ...

ज्ञान तुम्ही विज्ञान तुम्ही हो
मन को भरमाता अज्ञान तुम्ही हो
वो माया जो छल छल जाए
उस माया की माया भी हो
खोलो हृदय पटल तो आज
क्या माँगू माँ तुमसे आज ...

उल्लूक की करो सवारी
मत आना यूँ हे माँ प्यारी
घर मेरा मंदिर हो जाए
माँ जब तूँ गरुड पर आए
हे माँ विष्णु संग बिराज
क्या माँगू माँ तुमसे आज ...
Related Articles:


Copyright: © All rights reserved with Sanjay Gulati Musafir