Thought of the day

Thursday, December 27, 2007

सपनों का अनुवाद

सपनों का अनुवाद हमेशा ही विवादित विषय रहा है। वजह साफ है। जिस तरह लोग सपनों का अनुवाद करते हैं उलझा व्यक्ति और उलझ कर रह जाता है। वह जो जानता है कि ‘होने वाला है’ – होता नहीं, और कुछ जानता नहीं।

होता कुछ यूँ है। अक्सर हम सपनों में कालांतर की यात्रा करते हैं। कभी किसी व्यक्ति के सपने को समझना हो तो सबसे पहले उसके अतीत व वर्तमान की नजर से देखें।

एक उदाहरण से समझने का प्रयास करते हैं। दो व्यक्ति अलग-अलग समय पर आए। दोनों काफी समय से मुझसे परामर्श लेते थे इसलिए उनके पिछले जीवन से भली-भांति परिचित था। उन्होंने अपना सपना बताया - “मैं किसी लम्बी सडक पर यात्रा कर रहा था’। शेष ब्यौरे भी दोनों के एक से थे। दोनों यह सोचकर खुश थे कि विदेश यात्रा होने वाली है – यही तो विश्लेषण मिलता है लेखों/प्रकशनों में। और मेरा विश्लेषण –

एक को समझाया –

तुम अपने जीवन की अनिश्चितता को देख रहे हो – एक सडक, मगर कोई मञ्जिल नहीं।

और दूसरे को –

तुम्हारे मन में किसी के प्रति आकर्षण उत्पन हुआ है – एक सडक, मगर कोई मञ्जिल नहीं।

दोनों विदेश तो आज तक नहीं गए। हाँ मेरे विश्लेषण देने के बाद दोनों ने स्वीकार किया कि कुछ ऐसी ही उधेडबुन से वे गुजर रहे थे।

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