Thought of the day

Thursday, September 20, 2007

कुण्डली मिलान – कितना महत्त्वपूर्ण

एक ज्योतिषी के रूप में अक्सर यह प्रश्न मुझ से किया जाता है कि कुण्डली मिलाने की क्या आवश्यकता है। समाज के व अन्य देशों के उदाहरण देकर इसके औचित्य पर प्रश्न उठाया जाता है। तो आइये एक स्वस्थ चर्चा का भाग बनें।

चर्चा का आरम्भ प्रकृति से दृश्टांत लेकर करते हैं, क्योंकि उससे बेहतर उदाहरण तो हो ही नहीं सकता। सृष्टि में हर जीव सर्वोत्तम साथी का चयन करता है। हर मादा यथासंभव सबसे अच्छे नर साथी का चुनाव करती है ताकि आने वाली नस्लें मज़बूत हों। मानव जाति में विवाह प्रथा शुरू हुई तो इसके दो कारण ही समझ आते हैं। पहला स्वाभाविक रूप से वंश वृद्धि है। किंतु दूसरा, और अधिक महत्त्वपूर्ण है संबंधों को मर्यादित करना।
अब मेरा अपने पाठकों व प्रिय आलोचकों से प्रश्न है कि पशु जीवन में सर्वश्रेष्ठ साथी के चयन के अपने नियम हैं पर मनुष्यों में कहाँ हैं। सहजवृत्ति एक सश्कत्त माध्यम हो सकती थी पर उसके लिए कितना स्थान हमारे जीवन में है यह शायद मेरा बताना आवश्यक नहीं। फिर सच कुछ और कडवे भी हैं। साथी चुनने के हमारे मापदण्ड भी बदल रहें हैं। जाति, धर्म, आर्थिक स्थिति आदि ज़्यादा महत्त्वपूर्ण हो गए हैं।

हाँ एक चाह जो इतने वर्षों में भारतीय समाज में नहीं बदली, वह है वैवाहिक जीवन में स्थिरता। आज भी इसे हमारे समाज में एक महत्त्वपूर्ण स्थान दिया जाता है। किंतु स्थिरता का अर्थ है क्या?
आज 19 वर्ष के कार्यकाल में मैंने कितने ही जोडों की counseling की होगी। कितने ही बंद दरवाज़ों के अंन्दर की कहानियाँ इस पेट में दफन हैं और रहेंगी भी। अधिकतर समस्याएँ गलत चयन से शुरू होती हैं। मगर विवाह के समय वही चयन सर्वोत्तम होते हैं। तो यह फासला आता कहाँ से है?

आइए कुछ समस्याओं पर नज़र डालें। निःसंदेह आप अपने आसपास कम से कम किसी एक को ज़रूर जानते होंगे जो इन में से किसी एक से बोझिल है।
1) परस्पर विचारों में मतभेद (Difference of opinion)
2) किसी एक का दूसरे पर अत्याधिक हावी रहना (One dominating the other)
3) विवाह के बाद किसी एक का किसी न किसी कारण बिमार रहना (Regular health challenges to spouse)

यहाँ बिना विस्तृत चर्चा में गए यह स्पष्ट करना आवश्यक समझता हूँ कि उपरोक्त समस्याएँ मंगलीक दोष ही के कारण नहीं होतीं। और शायद यहीं से आपको कुण्डली मिलान का महत्त्व समझ आए।

कुण्डली मिलान केवल गुण मिलान तक सीमित नहीं कि कोई भी software खोला। देखा की 36 में से कितने गुण मिले। Readymade predictions पढीं और मिल गई कुण्डली। और बाद में कोई समस्या आई तो सारा दोष ज्योतिष के सिर। आप सभी पाठकों से एक प्रश्न पूछता हूँ विचार कीजिए!

हम ठीक होना चाहते हैं पर डॉक्टर की फीस बचाकर। हम सबसे अच्छे डॉक्टर से इलाज करवाना चाहते हैं, पर सबसे सस्ते डॉक्टर के खर्चे पर। संभवतः यह व्यंग मैं आप पर नहीं स्वयं पर कस रहा हूँ। मैं भी आपसे बाहर तो नहीं।

एक फिल्म से दृष्टांत याद आता है। किसी फैक्ट्री की मशीन बिगड जाती है। कारीगर बुलाया जाता है। वह एक हथौडी मारता है और मशीन ठीक हो जाती है। वह कारीगर जब रू 1000/- अपनी मज़दूरी माँगता है तो मालिक तुनक कर पूछता है “एक हथौडी मारने के रू 1000/- यह तो कोई रू 1/- में भी मार देता” इस पर कारीगर उत्तर देता है “हथौडी मारने का तो रू 1/- ही है रू 999/- तो हथौडी कहाँ मारनी है इस के हैं”

शायद यही फर्क एक specialist और आम आदमी में है। मेरे तज़ुर्बे से specialist मुझे कभी महँगा नहीं पडा। हाँ न जाना बहुत बार महँगा पडा। मैं नही जानता कि वे दया के पात्र हैं या हँसी के जिनके पास ज्योतिषी को फोन करके पूछने का समय तो है पर जा कर पूछ्ने का नहीं! कई महत्त्वपूर्ण कारणों के पीछे फीस बचाने का लालच भी छिपा होता है। पर वे सभी शायद इस एक तथ्य को भूल जाते हैं कि आपने किस भाव व भावना से प्रश्न पूछा वही आपका उत्तर है।

एक सत्य घटना सुनाता हूँ। एक बार एक युगल अपने निःसंतान होने की समस्या लेकर मेरे ज्योतिष गुरू के पास आया। विस्तृत चर्चा करने के लिए गुरू जी ने मुझे कमरे से बाहर जाने को कहा। जब युगल चला गया तो मैं गुरू जी के पास लौटा और गुरू जी से पूछा “इनकी संतान संभव नहीं है न गुरू जी” उनसे कुछ कहने का अर्थ है कि उत्तर तब मिलेगा पहले अपनी बात का आधारपूर्ण स्पष्टीकरण दो। तब मैंने कुछ पौराणिक ग्रंथों का हवाला देते हुए प्रश्नकर्त्ता के हाव-भाव का अर्थ निकाला। और जैसा कि मेरे गुरू का कथन है “ज्योतिषी गलत हो सकता है, ज्योतिष नहीं,” मेरा विवेचन सही निकला। यह केवल उन अनेक उदहरणों में से एक है जहाँ मुझे प्रश्न का उत्तर पूछने वाले की भावना, हाव-भाव आदि लक्ष्ण देखकर ही मिल गया और बाद मे दी हुई भविष्यवाणी सच भी हुई।
खैर, अभी प्रश्न है कुण्डली मिलान का। कुण्डली मिलाना एक प्रयास है सर्वोत्तम युगल बनाने का। गुण तो एक व्यक्ति के कई से मिल जाएँगे किंतु कुण्डली एक या दो से ही मिलेगी। यदि कुण्डली सही मिल जाए तो उपरोक्त समस्याओं का बहुत हद तक स्वतः ही समाधान हो जाता है! क्योंकि इसके बाद केवल दो विचारणीय पक्ष बचते हैं – विवाह मुहूर्त्त और स्वयं युगल। इनकी विस्तृत चर्चा मैं आने वाले दिनों में करूँगा।
Related Articles:


Copyright: © All rights reserved with Sanjay Gulati Musafir