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Saturday, March 21, 2020

Wednesday, November 11, 2009

ज्योतिष और मौसम - Astrology and Meteorology

Forecasting weather thro astrology is very simple. All you require is to understand the basics.

I am in Tokyo since a fortnight. Just few days back, I saw something happening in my room. My immediate reaction was “It is going to rain heavily”

Very next day my student came in asking about Astro-Meteorology. I told them the same instance. That noon it started shining bright in sky. And I told my students it will definitely rain now!

Right now when I am posting this, it is raining heavily. It is raining since yesterday night. I have clicked few pictures. Hope that gives you some idea about heavy clouds and the downpour.

ज्योतिष से मौसम की जानकारी देना बहुत सरल. सवाल है क्या हम मूल बातों का ध्यान रखते हैं या नहीं।

पिछले एक पखवाडे से मैं तोक्यो में हूँ। कुछ दिन पहले मैंने अपने कमरे में कुछ घटित होता देखा। मेरी तत्काल प्रतिक्रिया थी “बहुत भारी वर्षा होगी”

अगले ही दिन मेरे शिष्यों मौसम की चर्चा छेड दी। मैंने जो अनुभव किया था सो उन्हें बता दिया। जब दोपहर तक धूप तेज़ हो गई तो मैंने उनसे कहा, अब तो निश्चित ही वर्षा होगी।

इस समय जब यह लेख लिख रहा हूँ, बहुत भारी वर्षा हो रही है। कल रात से। कुछ तस्वीरें ले पाया हूँ। आशा है आप अनुमान लगा सकेंगे – बादलों के घनत्व और वर्षा का।

Thursday, July 16, 2009

बरसो रे मेघा...

पिछले कई वर्षों से मैंने मुण्डेन व मौसम पर काम करना छोड ही दिया है।

जहाँ तक वर्षा का प्रश्न है, मेरी अधिकतर बातें दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों तक सीमित रहेंगी। कारण स्पष्ट है कि मैं दिल्ली में स्थित हूँ और मौसम की भविष्यवाणी करने के नियमित रूप से स्थानीय जाँच आवश्यक होती है।

पिछले लगभग एक सप्ताह से मैं बारिश के आने या यूँ कहे कि मानसून के आने के समय पर काम कर रहा हूँ।

जो मैं जान पाया वह इस प्रकार है –

17 जुलाई से दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में तेज हवाएं चलने लगेंगी। इससे तापमान में कुछ गिरावट आएगी। जहाँ तक सवाल है बरसात का तो आपको 21 जुलाई 2009 मध्यरात्रि तक प्रतीक्षा करनी होगी। तब से लेकर अगले एक माह तक अच्छी बरसात होगी।

हाँ तब तक मैं भी आपके साथ आशावादी होकर आकाश की ओर देख रहा हूँ और गा रहा हूँ “बरसो रे मेघा...”

यह लेख मेरे अंग्रेज़ी लेख Rain-Rain come again… का हिंदी रूपांतर है।

Rain-Rain come again…

For almost 4-5 yrs now, I don’t work much on mundane and meteorology.

As far as rains are concerned my predictions will primarily be confined to Delhi, as I am placed in Delhi. Predicting about rains require lots of local observations from time to time. One can not merely survive on formulae based astrology for long. It requires lots of logic and reasoning.

For last week or so I have been working on possible time of (actual) rains (or say monsoon) to arrive in Delhi.

Here are observations I made:

From 18th July 2009 – Delhi and surrounding areas will get some relief from intense heat. Winds will blow, but rains…?

21st July midnight or around that time Delhi will experience good rainfall, and will continue to experience for almost a month after that!

Till then I can only say “Rain-Rain come again…”

Read Hindi version of this article here.

Monday, August 18, 2008

मुशर्रफ़ मियाँ – अल्लाह हाफ़िज़

क्या करें मुशर्रफ़ मियाँ अब आप राष्टृपति भी तो ऐसे देश के हैं जहाँ सत्ता पलट तो आम है। हम तो अपने लेख मुशर्रफ मियाँ – अब राह नहीं है आसान में आपको पहले ही आगाह कर चुके थे। हमने तो बताया था कि आप की दमनकारी नितियाँ काम नहीं आएँगी। हमने तो यह भी समझाया था कि पुराने देशी विदेशी मित्र भी पलट जाएंगे। पर साहब क्या करें – आपको भी तो शेर की सवारी में लुत्फ आ रहा था।

खैर यह तो होना ही था।

जाते जाते याद आया – हमने कहा था - सिंहासन तो पलटेगा ही – क्या एक खूनी सावन में... – तो साहब सावन (बरसात का मौसम) भी है, सिंहासन भी पलट गया – पर कुछ रह गया।

तो मुशर्रफ मियाँ – अब भी राह नहीं है आसान - चलिए जा ही रहें हैं तो अल्लाह हाफिज़।

संबंधित लेख –
बदलती ग्रह स्थिति, बदलते समीकरण
Pakistan: Can they learn something from India
मुशर्रफ मियाँ – अब राह नहीं है आसान


बीजिंग ओलम्पिक 2008 Beijing Olympics 2008

मैं यह लेख खासी जल्दी में लिख रहा हूँ – बरीकियों पर चर्चा बाद में करूँगा। मैं हमेशा कहता हूँ कि पूर्वाभास भी ज्योतिष का हिस्सा ही है।

अभी बीजिंग ओलम्पिक 2008 की कुण्डली बनाकर देखी तो महसूस हुआ कि आज से लेकर आने वाले दो दिनों में कोई बडा लिकपवाद (scandal) खुलने वाला है। और खोलेगा कोई भीतरी व्यक्ति किसी बदले मन या बदले की भावना से प्रेरित होकर।

देखते हैं क्या रहता है – शेष चर्चा बाद में करूँगा।

Translated in English:
I am writing this article in hurry. As I always say intuitions are also part f Astrology!

I just saw horoscope of Beijing Olympics 2008 and found that some major scandal will be uprooted today or in coming two days. That too by some insider out of anguish or as an act of revenge!

Lets see what actually happens!

Sunday, July 20, 2008

विश्वास मत – ज्योतिषीय विश्लेशण

आखिरकार, समर्थन वापस ले ही लिया। वह दिन आ ही गया जिसे मैं वर्षों से देख रहा था।

राजनैतिक भविष्यवाणी करना हमेशा जोखिम भरा काम है। यहाँ लकीर के फकीर बहुत हैं।

वाजपेयी जी जब एक मत से हारे थे तो, समेत मेरे, सभी ने उनके जीतने की बात की थी। सच यह भी है के वे विश्वास मत हारने के बाद भी पदासीन रहे और अगला कार्यकाल भी पूरा किया। वह अब इतिहास है – समझने योग्य।

मेरे पिताजी आज दोपहर को सहज ही पूछ बैठे कि 22 जुलाई 2008 को क्या रहेगा! जो मैंने देखा वह आपके लिए भी प्रस्तुत है।

विश्वास मत मनमोहन सिंह जी ही जीतेंगे। आज उनके यहाँ रात्रिभोज पर क्या रहा, मैं अभी तक नहीं जानता। कुछ मित्र और विरोधियों की परिभाषाएँ बदल चुकी हैं, कुछ बदल जाएँगी। मामला बहुत नज़दीकी होगा।

Thursday, January 17, 2008

कब जागेंगे सोने वाले

कल, 7 जनवरी 2008, को एक समाचार चैनल पर विशेष कार्यक्रम था। इसमें कुछ विश्वसनीय पदासीन लोगों के हवाले से बताया गया कि पिछले एक वर्ष में चीन ने भारत की सीमा में घुसपैठ की 140 बार कोशिश की। फिर भी हमारे मंत्रीगण सुप्तावस्था में यही कहते रहते हैं कि कोई घुसपैठ नहीं हुई।

रामपुर में सीआरपीएफ (CRPF) कैम्प पर हमला हो जाता है। हमारे सैनिक मारे जाते हैं और हमारे नाशुक्रगुज़ार नेता बेशर्म होकर बयान देते हैं “हमारे पास सूचना तो थी पर कौन सा रामपुर था यह स्पष्ट नहीं था”। बाद में यह भी पता चलता है कि कोई ‘अंदर’ का आदमी हमले में शामिल था।

मैं तो अपने लेखों (आगामी वर्षों में भारत - राजनैतिक परिवेश और बदलती ग्रह स्थिति, बदलते समीकरण)
में बहुत स्पषट तौर पर कह रहा हूँ कि ‘सीमाएँ और भीतरी समीकरण’ बदल रहे हैं। मैंने यहाँ तक लिखा कि “शत्रु केवल सीमाओं पर ही हैं?”। एक जगह तो मुझसे कहा भी गया कि मैं कुछ और खुल कर कहूँ।

पर फायदा क्या – जिन्हें जागना चहिए वे तो खुली आँखों से मीठी नींद सो रहे हैं!

(यह लेख 8 जनवरी 2008 को लिखा गया था - प्रकाशित आज किया जा रहा है)

Tuesday, December 25, 2007

आगामी वर्षों में भारत - खेल जगत

बहुत ज्यादा नहीं कहूँगा। सिर्फ इतना कि 2007 तो केवल शुरूआत है। मुझे यह तो समझ आता है कि कुछ खिलाडी इतने प्रसिद्ध हो जाएं कि और यश व ताकत की चाह उन्हें राजनीति में लाए। राजनीतिज्ञ किस कारण खेल में आते हैं वह समझ नहीं आता।

खैर। अगर राजनीति खेल बन सकता है तो खेल राजनीति क्यों नहीं।

बहुत जल्द मेरी बात के आशय खुलने लगेंगे। सुखद समाचार केवल यह है कि भारत फिर भी कुछ नई उपलब्धियाँ हासिल करता रहेगा। भारत एक लम्बी नींद से जाग रहा है और इसका स्पष्ट असर दिखेगा।


संबंधित लेख –
समीक्षा (Midway Analysis) – संवत 2064

इसी क्रम में पिछले लेख –
आगामी वर्षों में भारत - अर्थ-व्यव्स्था
आगामी वर्षों में भारत - अर्थ-व्यव्स्था
आगामी वर्षों में भारत - राजनैतिक परिवेश
आगामी वर्षों में भारत - अर्थ-व्यव्स्था
आगामी वर्षों में भारत - सामान्य जनजीवन

Monday, December 24, 2007

आगामी वर्षों में भारत - सामान्य जनजीवन

एक बहुत पुराने गीत की पंक्तियाँ हैं –

किसको भेजे वो यहाँ हाल जानने
इस तमाम भीड का हाल जानने

लोग कहते हैं अब हालात अच्छे हो गए हैं। हैं तो नजर क्यों नहीं आते। तो जवाब आता है – पहले यह नहीं था अब यह है! सब सही – क्या एक सवाल पूछ सकता हूँ?

भारत का आम आदमी वो नहीं जो संजाल पर बैठा यह लेख लिख रहा है या पढ रहा है। आम आदमी वो है जो कहीं गाँव में, आज भी, दो वक्त की रोटी और पीने के साफ पानी को तरस रहा है। मैं समाजवाद के खिलाफ हूँ – पर क्या करूँ आम आदमी तो आम आदमी ही रहेगा। उसकी परिभाषा नहीं बदल सकती।

चलों शहर में ही घूम लेते हैं – मकान है, कार है, हर आधुनिक सुख-सुविधा है – पर कर्ज में डूबी जिंदगी। अगर यह छवि आपको अच्छी लगती है तो बधाई हो कि आगामी वर्षों में जीवन ऐसा सा अच्छा है। मन में अशांति पर कहने को ‘सब’ शाँति।

मैं एक ही बात जानता हूँ – क्रांति आम आदमी के अति तक उत्पीडन के बाद ही आती है।


इसी क्रम में पिछले लेख –
आगामी वर्षों में भारत - अर्थ-व्यव्स्था
आगामी वर्षों में भारत - राजनैतिक परिवेश
आगामी वर्षों में भारत - अर्थ-व्यव्स्था

संबंधित लेख –
समीक्षा (Midway Analysis) – संवत 2064
ज्योतिष : क़र्ज़ के बदलते अर्थ

Saturday, December 22, 2007

आगामी वर्षों में भारत - विदेशों से संबंध

यह भारत की विदेश नीति ही है जिसने आज भारत को विश्व पर एक अलग पहचान दिलवाई है। पर जैसे हर सिक्के के दो पहलू होते हैं वैसे ही राजनीति के भी। एक वह जो प्रत्यक्ष लाभ दे और एक वह जो परोक्ष में लाभ/हानि करे।

आंतरिक और बाह्य दबाव हर पदासीन राजनैतिक पार्टी झेलती ही है। सवाल है – उस दबाव से उबरने व कितना सहना चाहिए उसका विवेक।

पिछले कुछ सालों में अगर अमरीका से भारत के संबंधों में सुधार हुआ तो इसलिए नहीं कि हमारी राजनीति बेहतर थी। बल्कि इसलिए क्योंकि वहाँ के उद्योगपतियों की भारी पूँजी भारत में लगी हुई है। मैं तो हमेशा ही इस बात को कहता हूँ कि बडे उद्योग-घराने हैं जो देश की आर्थिक-राजनीति की नब्ज़ पकड कर रखते हैं। आर्थिक राजनीति विदेश नीति का निर्धारण करती है।

आगामी वर्षों में नब्ज़ वही है पर अब उसे पकडने वाले हाथ पूरी तरह विदेशी होने वाले हैं।


इसी क्रम में पिछले लेख –
आगामी वर्षों में भारत - अर्थ-व्यव्स्था
आगामी वर्षों में भारत - राजनैतिक परिवेश

संबंधित लेख –
समीक्षा (Midway Analysis) – संवत 2064

आगामी वर्षों में भारत - राजनैतिक परिवेश

अधिकतर मंत्री रात के सन्नाटों में ज्योतिषी के चक्कर काटते हैं। पर किसी में इतना पित्ता नहीं कि यह कह सकें कि ज्योतिषी ने यह राय दी है सो हमें कुछ नीतिगत कदम उठाने चहिए। जब एक मंत्री अपनी वादा करके, फ़ीस के रूप में, ज्योतिष को उच्चतर शिक्षा में नही ला सका तो बेहतर की आस ही क्यों।

मैं तो अपने जापान दौरों के दौरान भी इस बात को गोष्ठियों में उठाता रहा। पर सवाल तो साहस और सहज स्वीकार करने का है।

मैं यह इसलिए कह रहा हूँ कि कारगिल युद्ध से पहले कई ज्योतिषी निरंतर चेतावनी देते रहे। इस वर्ष की भविष्यवाणी में मैंने खास तौर पर पाकिस्तान और बंगलादेश की ओर इशारा किया था। अब लगातार ग्रह उत्तर और उत्तर-पूर्व की ओर इशारा कर रहे हैं। हमारे मंत्री जाते हैं – देखते हैं – कहते हैं कि मेरी यहां आकर आंखे खुली हैं – पर चिंता की कोई बात नहीं है। किस बयान को सच मानूँ। या यह मान लूँ कि 1962 से भारत कुछ सीखा ही नहीं।

क्या भारत का भौगोलिक नक्शा फिर बदलने वाला है? क्या शत्रु केवल सीमाओं पर ही हैं?

इसी क्रम में पिछले लेख – 

Thursday, December 20, 2007

आगामी वर्षों में भारत - अर्थ-व्यव्स्था

आज भारत एक ऐसे दौर में है – जहाँ वह प्रगतिशील देशों की सूची से निकल कर तेजी से प्रगति करती अर्थव्यव्स्थाओं में शामिल हो गया है। यह रफ्तार भी तब हासिल की गई जब दुनिया मंदी और अनिश्चितता के दौर से गुज़र रही है। अच्छा लगता है सोचकर, सिवाय इसके कि कहीं कोई ठोकर खाने का अंदेशा तो नहीं।

जहाँ तक मेरा विश्लेषण जाता है, अभी तो रफ्तार और तेज होगी। यह सच है कि डॉलर कमजोर होने से अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को झटका लगा है। पर दुनिया इतनी छोटी भी तो नहीं – बहुत नए आयाम खुल रहे हैं और खुल जाएंगे।

ज्योतिषी को चिंता है जुलाई 2008 से आगे एक वर्ष की। यह वर्ष बहुत तरह से महत्त्वपूर्ण है – जिसकी चर्चा मेरे आगामी लेखों में मिलती रहेगी।

बनते बिगडते हालातों से गुजरते 2010 से भारत पुनः आर्थिक कहलाने की स्थिति में आ ही जाएगा।

आगामी कुछ वर्ष शेयर बाजार से कमाने वालों के लिए स्वर्णिम हैं।


संबंधित लेख –
समीक्षा (Midway Analysis) – संवत 2064

Tuesday, December 4, 2007

माया की माया

13 अक्तूबर 2007 को मैंने अपने एक पत्र में लिखा -


... As far as Mayawati is concerned, what she is doing and she might do in her tenure is quite evident from her swearing in chart! Wonder what she does in Jan 2008! 

अर्थात – जो मायावती कर रही है और अपने इस कार्यकाल में करेगी वह तो उसके शपथ-ग्रहण से बिल्कुल स्पष्ट है! देखना तो यह है कि वह जनवरी 2008 में क्या करती है!

यदि मायावती की शपथ-ग्रहण की कुण्डली पर नजर डालें तो कुछ बातें बहुत स्पष्ट दिखती हैं –

* चाहे वह स्वयं कुछ भी दावा करें पर कुण्डली तो दिखा ही रही है कि यह कार्यकाल पूरी तरह से बदले की भावना से प्रेरित रहेगा। कुछ तो चढ चुके और देखें कौन और कितने इस बलि-वेदी पर चढाए जाते हैं।

* “हाथी नहीं गणेश है..” इस नारे ने उत्तर प्रदेश की सत्ता तो बहुमत से दे दी। अब देखना यह है कि पिछडे वर्ग की मसीहा कब अन्य जाति व वर्ग के लोगों को अपने विरुद्ध करेंगी और कैसे!

* राज-मद भी बहुत बुरी चीज है। एक ओर तो सपने दिल्ली की गद्दी के दिखाता है वहीं कुछ न सुलटने वाली गलतियाँ भी करवा ही देगा।

बहुत कुछ और भी कहा जा सकता है जो स्पष्ट दिख रहा है। पर देखिए न माया की माया कि सब दिख रहा है पर बोल नहीं सकता।

अन्य लेख –
India: Visible Trends of Samwat 2064 (Year 2007 – ...
Pakistan: Can they learn something from India
मुशर्रफ मियाँ – अब राह नहीं है आसान

Sunday, December 2, 2007

मुशर्रफ मियाँ – अब राह नहीं है आसान

मुशर्रफ के सत्ता पलटने के समय की कुण्डली से ज्यादा महत्त्वपूर्ण है उनके राष्ट्रपति पद की शपथ लेने की कुण्डली। अब हालात बदल चुके हैं – अब वे केवल राष्ट्राध्यक्ष हैं, सेना-अध्यक्ष नहीं। यह बात पाकिस्तान में तो महत्त्व रखती ही है। तो आइए समझे क्या कहना चाहते हैं सितारे उनके आने वाले दिनों के बारे में।

मेरी विशेष नजर है तीन ग्रहों पर – शनि, बुध और मंगल।

जहाँ एक ओर बुध संदेशा देता है मुशर्रफ की दमनकारी नीतियों का, वहीं इशारा करता है कुछ घर के अंदर बनते बिगडते रिश्तों का। शनि तो केवल मेरी पिछली भविष्यवाणी का समर्थन करता है जब मैंने कहा था कि इस बार गैर-मुस्लिम समाज का दमन भी रंग लाएगा।

मंगल का वक्री होना बहुत कुछ कह रहा है। पुराने देशी-विदेशी मित्रों का पलटना। देखने की बात यह भी है कि कुछ प्रत्यक्ष क्षत्रु अगर पीछे हट रहे हैं तो कुछ खास प्यादे पलट कर वार करेंगे। साहब शेर की सवारी का तो यही लुत्फ है – या भूख से मरो या भूखे से मरो।

सिंहासन तो पलटेगा ही – क्या एक खूनी सावन में...

मैं तो इतना ही कहूँगा, बच के मुशर्रफ मियाँ – अब राह नहीं है आसान

संबंधित लेख –
बदलती ग्रह स्थिति, बदलते समीकरण
Pakistan: Can they learn something from India
India: Visible Trends of Samwat 2064 (Year 2007 – ...

Friday, November 2, 2007

बदलती ग्रह स्थिति, बदलते समीकरण

22 नवम्बर 2007, प्रातः 05:04:17 बजे (भारतीय समयानुसार) गुरू धनु राशि में सक्रांति कर रहे है। वैदिक ज्योतिष के नियमानुसार, जब कोई ग्रह सक्रांति करे तो उस समय की खागौलिक स्थिति का विशलेषण आने वाले समय की महत्त्वपूर्ण जानकारी देता है। आएये तो एक नज़र डालें और आगामी सक्रांति दिनों में छिपी कुछ संभावनाओं को तलाशें।

भारत
सत्ताहस्तांतरण का समय है। मैं इस संवत की भविष्यवाणी में बार बार इस बात कि उठा चुका हूँ कि पदासीन राजा का पतन होगा। दिल्ली MCD, पंजाब (फरवरी 2007), उत्तर प्रदेश की सतारूढ राजनैतिक दल पहले ही ग्रह चाल की भेंट चढ चुके हैं। अब गुजरात की बारी है।
पर मेरी नज़र से शुरू से ही केन्द्र पर टिकी है – और अब तो ग्रह भी उधर इशारा कर रहे हैं।


पाकिस्तान
अभी तक पाकिस्तान से मुस्लिम गुटों के परस्पर टकराव की खबर आती थी। अब देखना यह है कि वहाँ गैर मुस्लिम सामाज कैसे अपना रोष दिखाता है! और उससे भी अधिक की उनका दमन किस हद तक सत्ता-भोगियों के आसन हिलाता है।

जापान
जब मैं जुलाई में जापान में था तो एक गोष्ठी में यह भविष्यवाणी देकर आया था कि जापान यातायात से संबंधित कोई नई टेक्नोलॉजी का विकास, कोई बडी वाहन दुर्घटना व राजनैतिक उथल-पुथल होगी। बाद में पता चला कि जिस समय मैं गोष्ठी को संबोधित कर रहा था तभी कोई रेलगाडी पलटी थी। बाद में कई विमान हादसे हुए। पिछ्ले महीने जापान ने नए पर्यावरण-अनुकूल रेल इंजन का ईजाद किया गया।


किंतु अब समय है एक और महत्त्वपूर्ण बात सच होने का। कई देशों के राजनैतिक समीकरण बहुत तेज़ी से बदलेंगे। और ऐसा मै काफ़ी समय से इशारों में कह रहा हूँ। आखिर ग्रह अपनी चाल बदलें और कुछ न बदले...

Thursday, October 11, 2007

ताकि सनद रहे For records

Yet astrology wins!

For those who missed the article of mine: India: Visible Trends of Samwat 2064 (Year 2007 – 2008), here are few excerpts. Though U may read full article at
http://sanjaygulatimusafir.blogspot.com/2007/09/india-visible-trends-of-samwat-2064.html

It was first published on 13th March 2007.

… India is all set to set new standards in IT, Communication and Space programmes despite some early hick ups. India can also fetch good business in global market with its communication and space programmes…
And these are excerpts from Hindustantimes.com. Infact for last many days I was looking for such news to come in.
ISRO does an Italian job
Sriharikota, April 23, 2007
First Published: 11:34 IST(23/4/2007)
Last Updated: 20:08 IST(23/4/2007)

India’s first flight into the world of commercial space launches was accomplished without much ado when the PSLV-C8 launched the Italian Space Agency’s AGILE satellite in a flawless operation…… "It was a precise textbook launch which has once again proved the reliability, cost effectiveness and on time delivery of our space launch system," said a thrilled ISRO Chairman G Madhavan Nair……Today’s flight marked the 10 consecutive successful flight for the PSLV proving that the launcher has indeed settled down as ISRO’s dependable workhorse. This augurs well for the country’s moon mission in 2008, which will be riding on the proven strength of the PSLV and also for the country’s future commercial launches.
Though ISRO had launched small scientific satellites of other countries in the past - six to be exact – for a small fee today’s exercise marked its first commercial launch.

Hope says all about the prediction and Astrology!

Another Prediction comes true


In my article
India: Visible Trends of Samwat 2064 (Year 2007 – 2008), first published on 13th March 2007, at
http://sanjaygulatimusafir.blogspot.com/2007/09/india-visible-trends-of-samwat-2064.html

I had clearly mentioned the fate of elections. Some excerpts underneath for reference.

… Some states have already experienced change in Govt where ruling parties were thrown out by the common man, now other elections & states will soon see the same trends!...

Since this prediction:
Ruling party Congress was thrown out in MCD elections

Yet again as predicted, Uttar Pradesh’s voters have thrown out the ruling Mulayam Singh Yadav’s Samajwadi Party! What is interesting to find is it’s a clear mandate after 16 years in UP, where no alliances are required to get into the Legislative Assembly!

Monday, October 1, 2007

“Chak De India” चक दे इण्डिया

As I was running through one of the national newspapers this morning, it read “One more Chak De moment in the spring of Indian sport”

It also listed few of the achievements by Indian teams. They are:

Football: On August 29, India beat Syria to win the Nehru Cup
Hockey: On Sept 9, India thrash South Korea 7-2 to become Asian Champions
Cricket: On Sept 24, Dhoni’s devils lift T20 world championship
Chess: On Sept 30, Vishwanathan Anand becomes world champion

When I wrote, on March 13 2007, about a good samwat ahead for Indian Sports

“In sports, Indians are all ready to lift few trophies, awards to get attention and recognition world over...”

Most would have only thought of Team India lifting ODI Cricket world cup. But I was more than sure that that won’t happen! One of my friends asked me will India win the world cup – and as the planets were, it was never on cards! “My answer was anyone but not India”

A lot of queries flew in asking that you predicted Indian lifting trophy and nothing has happened! I kept a calm silence! Most of the times Astrologer need not answer as planets talk for them! Unlike most others for me sports is not confined to cricket. Despite a keen follower of the game, I never get so involved to the extent of getting anxiety or depression!

Honestly! You may even get confirmed! Dhoni or any of his team-member didn’t part any penny from the millions they earned! Neither I could go and console Indian Hockey team players that despite creating a history of hitting maximum number of goals and a thumping victory – You people are still fighting for bread and butter! I was just wondering, on both occasions, how fast will it get erased from people’s mind! Unfortunately for Hockey Team it was erased faster than even they could have anticipated!

The Victory – that made “Chak De” a Sporting Anthem for Indian Sports is yet to be duly recognised!
And as is said Justice delayed is Justice DENIED.

Thursday, September 20, 2007

Pakistan: Can they learn something from India

If my readers remember I have already discussed some erotic changes in & by Pakistan and Bangladesh, while predicting about Samwat 2064. No need to specify about Bangladesh and Pakistan situation at present. Then in recent articles I mentioned Independence of India & Pakistan on the two ends of a same day!

But why I am mentioning it – I call it Romancing in Astrology! They might succeed, they might fail! But as I always tell my students romance but within the framework of basics of astrology – and eliminate the failures!

Since both nations got Independence on the same day, basic complexion of planetary positions are same. I need to specify, going into finer details, one will find totally different horoscopes!

Presently, Pakistan is running into Dasha of Ketu/Mercury that started Dec 2006. India saw this phase from Sept 1988 to Sept 1989. That was the time when Rajiv Gandhi was completing his term as PM and a lot was being said and taken up about his leadership. Also it was the time when an air of uneasiness against his leadership was there. But Nehru/Gandhi family has always enjoyed the status of a Royal family in Indian Politics.

Well my point is does Pakistan has something to learn about from what India faced during those years and consequently after that! Do I need to remind about sending army to Lanka and later living the consequences!

India: Visible Trends of Samwat 2064 (Year 2007 – 2008)

Samwat 2064: begins 19th March 2007 at 08:12:27 hrs IST

A Year where economy in general is growing yet full of agitations, riots, uneasiness amongst common man, as I could foresee the samwat 2064!

While on one hand India would be growing in global scenario, it would be facing some major challenges within its boundaries on the other. India’s Foreign policy will be widely accepted and it will get support all over! On one hand India will get into some major agreements related to business and finances with its neighbours, on other peace talks may take some hit but erotic behaviours from few countries, Bangladesh & Pakistan in particular!

Business, money market seems to be growing during this samwat! Stock markets will keep rising despite some unfolded scandals. Expect some new scandals uprooted during this year which may lead to instability amongst common man, lock horns within coalition partners and more!

Some states have already experienced change in Govt where ruling parties were thrown out by the common man, now other elections & states will soon see the same trends! But for me outlook would be whether centre can see through this phase! Politicians are the worst hit this year other than Media & Transport Industry.

India is all set to set new standards in IT, Communication and Space programmes despite some early hick ups. India can also fetch good business in global market with its communication and space programmes. Media Industry in India could see some, long expected, limitations imposed on it.

In sports, Indians are all ready to lift few trophies, awards to get attention and recognition world over. May I use my column to warn respective sports authorities to be alert enough so that there success tastes are not bitter by unfolded scandals etc!

I wonder if this samwat will again be marked with floods and draughts! Hope some day major rivers get connected to find a solution to this challenge!

I wish months of Apr, May, Sept 2007 don’t find some mass killing, explosions or agitations!

(Written on 10th March 2007 at 13:46pm)
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