बहुत ज्यादा नहीं कहूँगा। सिर्फ इतना कि 2007 तो केवल शुरूआत है। मुझे यह तो समझ आता है कि कुछ खिलाडी इतने प्रसिद्ध हो जाएं कि और यश व ताकत की चाह उन्हें राजनीति में लाए। राजनीतिज्ञ किस कारण खेल में आते हैं वह समझ नहीं आता।
खैर। अगर राजनीति खेल बन सकता है तो खेल राजनीति क्यों नहीं।
बहुत जल्द मेरी बात के आशय खुलने लगेंगे। सुखद समाचार केवल यह है कि भारत फिर भी कुछ नई उपलब्धियाँ हासिल करता रहेगा। भारत एक लम्बी नींद से जाग रहा है और इसका स्पष्ट असर दिखेगा।
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