Thought of the day

I cannot choose how I feel, but I can choose what I do about it.

~ Jyotish Parichaye

Monday, December 24, 2007

आगामी वर्षों में भारत - सामान्य जनजीवन

एक बहुत पुराने गीत की पंक्तियाँ हैं –

किसको भेजे वो यहाँ हाल जानने
इस तमाम भीड का हाल जानने

लोग कहते हैं अब हालात अच्छे हो गए हैं। हैं तो नजर क्यों नहीं आते। तो जवाब आता है – पहले यह नहीं था अब यह है! सब सही – क्या एक सवाल पूछ सकता हूँ?

भारत का आम आदमी वो नहीं जो संजाल पर बैठा यह लेख लिख रहा है या पढ रहा है। आम आदमी वो है जो कहीं गाँव में, आज भी, दो वक्त की रोटी और पीने के साफ पानी को तरस रहा है। मैं समाजवाद के खिलाफ हूँ – पर क्या करूँ आम आदमी तो आम आदमी ही रहेगा। उसकी परिभाषा नहीं बदल सकती।

चलों शहर में ही घूम लेते हैं – मकान है, कार है, हर आधुनिक सुख-सुविधा है – पर कर्ज में डूबी जिंदगी। अगर यह छवि आपको अच्छी लगती है तो बधाई हो कि आगामी वर्षों में जीवन ऐसा सा अच्छा है। मन में अशांति पर कहने को ‘सब’ शाँति।

मैं एक ही बात जानता हूँ – क्रांति आम आदमी के अति तक उत्पीडन के बाद ही आती है।


इसी क्रम में पिछले लेख –
आगामी वर्षों में भारत - अर्थ-व्यव्स्था
आगामी वर्षों में भारत - राजनैतिक परिवेश
आगामी वर्षों में भारत - अर्थ-व्यव्स्था

संबंधित लेख –
समीक्षा (Midway Analysis) – संवत 2064
ज्योतिष : क़र्ज़ के बदलते अर्थ

Related Articles:
Astrology
Mundane
in Hindi


Copyright: © All rights reserved with Sanjay Gulati Musafir