Thought of the day

Astrology is said to be a window to Vedas just like vision to a man. An astrologer with the help time tested principles and various tools of prediction looks at the high & low tides in destiny and can unfold the mystery of future.

~ Jyotish Parichaye

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Wednesday, February 6, 2008

क्या खास है उस कुण्डली में...

किसी युगल ने अपने पुत्र के लिए कुण्डली मिलवाई। कुण्डली अच्छी मिल गई। मैं निरंतर इंतजार में था कि शुभ समाचार आया ही आया – पर नहीं। कुछ दिन बाद वे फिर आए कि यह कुण्डली बाँच दीजिए मिलान के लिए। मेरा सहज उत्तर था – पहली कुण्डली अच्छी मिलती थी, और के ‘चक्कर’ में मत पडो। तत्काल महिला बोलीं “क्या खास है उस कुण्डली में?”

अब परिस्थिति देखें। मेरे लेख क्यों चूकते हैं ज्योतिषी 1 से बिल्कुल उलट, पर दबाव वही। यहाँ स्थिति यह थी कि मेरे यजमान को घर-परिवार-लडकी सब पसंद था। पर उनकी पत्नी पूर्वाग्रहों के चलते नानुकर कर रहीं थी।

मुझे तो उन्हें धन्यवाद ही देना है कि उन्होंने ज्योतिष के इस पक्ष की चर्चा करने को प्रेरित किया।

कुण्डली मिलान में यदि हर कुण्डली को अलग अलग ही बाँचना हो तो बहुत सरल हो। केवल गुण मिलान ही करना हो तो भी सरल हो। किंतु विवाह दो व्यक्तियों, दो परिवारों को एक साथ लाता है। यही मिलान में बाँचा जाता है। क्षमा करें यहाँ चर्चा बाजारू पण्डितों या आपके कम्प्यूटर में पडे सॉफ्टवेयर की हो ही नहीं रही – जो केवल गुण मिला कर बात खत्म कर देते हैं।

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Tuesday, December 18, 2007

कुण्डली मिलान – क्या है सच

कुण्डली मिलान और मुहूर्त्त हमेशा से ही विवादों से घिरा विषय रहा है। विदेशों में कुण्डली मिलाते हैं या नहीं; अन्य धर्मों में मिलाते हैं या नहीं; उन विवाहों का क्या होता है – यह बहस तो हमेशा रहेगी। विवाद है तो उसे वहीं रहने दो – अपना पक्ष रखो और सोचना उनके लिए छोड दो जिन्हें (अपने लिए) निर्णय लेना है।

हाल ही के वर्षों में मैंने यह पाया कि कुछ लोग जो ज्योतिष की मुख्यधारा से अलग काम कर रहे हैं, अपनी बात कहने के लिए ज्योतिष के मूल सिद्धांतों को ही चुनौती देने लगते हैं। सवाल है कुण्डली मिलान की पद्धति का। कहीं ज्योतिष में नहीं लिखा कि केवल चन्द्र-नक्षत्र के आधार पर गुण मिलान करके कुण्डली मिलान करो। यह तो केवल एक शुरूआती संकेत है। शुरूआती संकेत भर को पूरी ज्योतिष मान लेना – क्षमा करें मूढता से अधिक कुछ नहीं।

बाज़ार में चोर-उचक्के ज्योतिष के स्वांग में कुछ भी करें – वे ज्योतिषी तो नहीं। हर झुग्गी-झोपडी में इसी तरह डॉक्टरी का स्वाँग करते बे-ईमान मिल जाएंगे। अब क्या उन्हें भी डॉक्टर मान लें।

मुझे नहीं याद इतने वर्षों में एक भी कुण्डली केवल गुणों के आधार पर मिलाई हो या नकार दी हो। हाँ गुण देखे भी न हों और कुण्डली मिलान किया हो – ऐसे बहुत उदाहरण हैं मेरे पास।

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