Thought of the day

Astrology is said to be a window to Vedas just like vision to a man. An astrologer with the help time tested principles and various tools of prediction looks at the high & low tides in destiny and can unfold the mystery of future.

~ Jyotish Parichaye

Wednesday, November 21, 2007

हर ज्योतिषी करता है अलग ही विशलेषण – 1

हम सभी, कभी न कभी, इस चर्चा का प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप में भाग बन चुके हैं। इस सवाल पर आकर बहुत आसान हो जाता है ज्योतिष और ज्योतिषियों पर कीचड उछालना। पर मैं स्वीकार करता हूँ कि यह सच है। गलती सुधारने की सबसे पहली सीढी है ही यही कि गलती को माना जाए और फिर कहाँ गलती हो रही है उसे ढूँढा जाए।

मैं अपने शब्दों को आवरण की तरह इस्तेमाल नहीं करूँगा। यह केवल चर्चा की शुरूआत है। ईश्वर न करे, यदि घर में कोई बिमार पड जाए तो हम अक्सर किसी दूसरे डॉक्टर की सलाह लेते हैं। दूसरे डॉक्टर का विवेचन और इलाज की पद्धति अलग हो सकते है। 50-50% दोनों तरफ। कभी राय अलग होती है, कभी नहीं होती। पर इलाज एक का ही चलता है। बिल्कुल यही हाल ज्योतिष का है। मगर मीडिया से लेकर आम आदमी तक रात के अंधेरे में ज्योतिषी के पास जाता है और सुबह उनकी कमियाँ उजागर करने में लग जाते हैं।

चैनल, सुबह दैनिक भविष्य प्रसारित करते हैं, दोपहर को इसकी भरसक निंदा करते हैं, शाम को तंत्र-मंत्र बेचते हैं और फिर ‘कैसा रहेगा आपका कल का दिन’ रात को प्रसारित करते हैं। अगर ज्योतिष गलत है तो मत प्रचार करो इसका और सही है तो दिन भर का अपना गोरखधंधा बन्द करो। पर उनकी दुकान इसी से चलती है, सो चला रहे हैं। बन्धु कभी तो बताओ कि कितने नेता ज्योतिषीय मत से शपथ लेते हैं, अपने नए घर-ऑफिस में प्रवेश करते हैं। उन्हें छोडो नेता हैं पल-पल बदलते हैं। ज़ी से लेकर कितने चैनल है जिनके मुहूर्त्त ज्योतिषीय मत से हुए। उन्हें भी छोडो साहब वे भी तो पल-पल बदलते हैं। सवाल यह है आप और मैं भी तो ...

लेख की लम्बाई के कारण एक अल्प-विराम ले रहा हूँ। कल चर्चा आगे बढाऊँगा।
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