Thought of the day

Sunday, December 2, 2007

मुशर्रफ मियाँ – अब राह नहीं है आसान

मुशर्रफ के सत्ता पलटने के समय की कुण्डली से ज्यादा महत्त्वपूर्ण है उनके राष्ट्रपति पद की शपथ लेने की कुण्डली। अब हालात बदल चुके हैं – अब वे केवल राष्ट्राध्यक्ष हैं, सेना-अध्यक्ष नहीं। यह बात पाकिस्तान में तो महत्त्व रखती ही है। तो आइए समझे क्या कहना चाहते हैं सितारे उनके आने वाले दिनों के बारे में।

मेरी विशेष नजर है तीन ग्रहों पर – शनि, बुध और मंगल।

जहाँ एक ओर बुध संदेशा देता है मुशर्रफ की दमनकारी नीतियों का, वहीं इशारा करता है कुछ घर के अंदर बनते बिगडते रिश्तों का। शनि तो केवल मेरी पिछली भविष्यवाणी का समर्थन करता है जब मैंने कहा था कि इस बार गैर-मुस्लिम समाज का दमन भी रंग लाएगा।

मंगल का वक्री होना बहुत कुछ कह रहा है। पुराने देशी-विदेशी मित्रों का पलटना। देखने की बात यह भी है कि कुछ प्रत्यक्ष क्षत्रु अगर पीछे हट रहे हैं तो कुछ खास प्यादे पलट कर वार करेंगे। साहब शेर की सवारी का तो यही लुत्फ है – या भूख से मरो या भूखे से मरो।

सिंहासन तो पलटेगा ही – क्या एक खूनी सावन में...

मैं तो इतना ही कहूँगा, बच के मुशर्रफ मियाँ – अब राह नहीं है आसान

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