कल, 7 जनवरी 2008, को एक समाचार चैनल पर विशेष कार्यक्रम था। इसमें कुछ विश्वसनीय पदासीन लोगों के हवाले से बताया गया कि पिछले एक वर्ष में चीन ने भारत की सीमा में घुसपैठ की 140 बार कोशिश की। फिर भी हमारे मंत्रीगण सुप्तावस्था में यही कहते रहते हैं कि कोई घुसपैठ नहीं हुई।
रामपुर में सीआरपीएफ (CRPF) कैम्प पर हमला हो जाता है। हमारे सैनिक मारे जाते हैं और हमारे नाशुक्रगुज़ार नेता बेशर्म होकर बयान देते हैं “हमारे पास सूचना तो थी पर कौन सा रामपुर था यह स्पष्ट नहीं था”। बाद में यह भी पता चलता है कि कोई ‘अंदर’ का आदमी हमले में शामिल था।
मैं तो अपने लेखों (आगामी वर्षों में भारत - राजनैतिक परिवेश और बदलती ग्रह स्थिति, बदलते समीकरण)
में बहुत स्पषट तौर पर कह रहा हूँ कि ‘सीमाएँ और भीतरी समीकरण’ बदल रहे हैं। मैंने यहाँ तक लिखा कि “शत्रु केवल सीमाओं पर ही हैं?”। एक जगह तो मुझसे कहा भी गया कि मैं कुछ और खुल कर कहूँ।
पर फायदा क्या – जिन्हें जागना चहिए वे तो खुली आँखों से मीठी नींद सो रहे हैं!
(यह लेख 8 जनवरी 2008 को लिखा गया था - प्रकाशित आज किया जा रहा है)