Thought of the day

Tuesday, January 15, 2008

उलझते रिश्ते – कैसे सुलझाएँ 15

आइए मुलाकात करें ज्ञानसागर वायुसम से। मित्रों इसे अतिश्योक्ति ना समझें। जिस विषय में जानते हैं वहाँ इनसे बहस किजिएगा नहीं और जो नहीं जानते वहाँ चुपचाप जो यह पूछें उसका जवाब दे दीजिए।

मैं यह तो नहीं कह सकता कि यह व्यक्तित्त्व जटिल है। क्योंकि जटिल वह है जो समझ ना आए। हाँ कुछ बातें हैं अगर आपको याद रह गई तो बहुत सहज हैं ये लोग।

इनकी किसी निजी वस्तु को भूले से छुए नहीं – क्योंकि केवल वही जानते हैं उसकी सही स्थिति क्या है। जो यह कह दें वह इनका मूल-मंत्र है, कोई बहस नहीं – केवल वही जानते हैं कि वे क्या चाहते हैं। हर व्यक्ति की ‘सही’ की निजी परिभाषा है।

वायुसम अपने ख्यालों की ही दुनिया में रहते हैं, अतः अक्सर असुविधाजनक परिस्थितियों में मिलते हैं। हाँ कोई भी निर्णय लेने से पहले बहुत सोच-विचार करते हैं। आम आदमी को यह उबाऊ लग सकता है पर इनके साथ जल्दबाजी न करें। जो जितनी जानकारी मांगे वह दें। बेहतर यह होगा कि स्वयं न कहकर किसी लिखित/प्रकाशित दस्तावेज से जानकारी दें।

मेरी एक बात याद रखें – हर व्यक्ति कई व्यक्तित्त्वों का एक अलग समिश्रण है। उसे एक अलग जगह रखकर उसकी आवश्यकाता अनुसार व्यवहार करें। इति


इसी क्रम में पिछले लेख –
उलझते रिश्ते – कैसे सुलझाएँ - भाग
1 , 2 , 3 , 4 , 5 , 6 , 7 , 8 , 9 , 10 , 11 , 12 , 13 , 14

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जीवनसाथी से बढते विवाद – क्या करें - भाग -
8 , 7 , 6 , 5 , 4 , 3 , 2 , 1

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