Thought of the day

Tuesday, November 27, 2007

जीवनसाथी से बढते विवाद - क्या करें 6

यदि आप ने अभी तक लिखे मेरे इस विषय के लेख पढे हैं और अपने जीवन में लगाने शुरू कर दिए हैं तो एक नई समस्या शुरू हो गई होगी। वह भी पहले से और विकट। वह यह कि अब तो आपका स्वभाव बदल गया है पर आपके साथी में कोई परिवर्तन ही नहीं। आपकी शिकायत सही है मगर यहाँ यह समझना जरूरी है कि आपने पढा और समझा है कि परेशानी कहाँ है। आपका जीवनसाथी तो अभी भी पुराने ढर्रे पर ही चल रह है। वह अपने अंदर कुछ बदला बदला महसूस कर रहे हैं पूरी तरह समझने का वक्त दें।

अक्सर मैं अपने श्रोताओं से कहता हूँ कि जीवन की गाडी चलाने के लिए एक समझदार बहुत है – और वह आप हैं। क्योंकि आप इस प्रयास में है कि शादी और रिश्ता जिंदा रहे। आप किसी कार में हैं और आपके साथ कुछ और लोग भी। गंतव्य पर पहुँचने के लिए सबको कार नहीं चलानी होगी। आप अकेले भी अगर चलाएँगे तो सभी पहुँच जाएँगे। अतः हताश न हों, चलते रहें।

आपसी तालमेल के बाद जो दूसरी बडी परेशानी रिश्तों में आती है वह है विश्वास की। विश्वास प्यार से पनपता है। और प्यार जताने से बढता है। आप मुझसे असहमत हो सकते है यह कहकर कि “उसे पता है कि मैं उससे प्यार करता/करती हूँ”। पर सच यही है कि प्यार करना अगर जरूरी है तो जताना उससे भी ज्यादा। कल इस पर चर्चा आगे बढाता हूँ।

इसी क्रम में पिछले लेख –
जीवनसाथी से बढते विवाद - क्या करें 5
जीवनसाथी से बढते विवाद - क्या करें 4
जीवनसाथी से बढते विवाद - क्या करें 3
जीवनसाथी से बढते विवाद - क्या करें 2
जीवनसाथी से बढते विवाद - क्या करें 1

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