Thought of the day

Friday, November 23, 2007

जीवनसाथी से बढते विवाद - क्या करें 1

मेरी ज्योतिष यात्रा को 20 वर्ष पूरे होने को हैं। इन सालों में अगर कोई मामला सबसे ज्यादा मेरे पास आया तो वह था वैवाहिक जीवन में अशांति का। और सच यह भी है कि इतने सालों में केवल 3 ही मामले ऐसे हैं जहां मैंने तलाक लेने की राय दी। तो बाकी मामलों का क्या हुआ। सबमें मुझे आशा की किरण दिखती थी। ज्यादातर शादियाँ इसलिए टूट जाती हैं क्योंकि सही मार्गदर्शन नहीं मिलता। मैंने जितने भी किस्से देखे सभी में परस्पर तालमेल बिठाने की कमी थी।

कभी कभी आपकी कार या स्कूटर का इंजन आवाज़ करता है। क्या सारा तंत्र ही खराब होता है या किसी खास कलपुर्ज़े की मामूली मरम्म्त से मसला ठीक हो जाता है! बस यही हाल शादी का। एक पुर्ज़ा बिगडता है। सही समय पर सही उपाय नहीं होते। फिर तंत्र बिगडने लगता है। करते करते हालत यहां तक पहुँच जाती है कि सालों से बिगडी चीज़ से एक दिन में ठीक होने की आशा करने लगते हैं। हालात बिगड ही इतने चुके होते हैं कि एक पल और सहना दूभर हो जाता है।

दिसम्बर 2000 की बात है। एक महिला मेरे दफ्तर में दनदनाती घुसीं। छूटते ही बोलीं कि मैं अपने पति को छोड कर मायके जा रही हूँ, हमेशा के लिए। सोचा जाने से पहले आपको बता दूँ। (विश्वास करें उस महिला को मैं अपने जीवन में पहली बार मिल रहा था) मैंने भी तत्काल उत्तर दिया “अरे वाह, तो आखिर तुमने इरादा कर ही लिया। बहुत अच्छा किया”। वह औरत शाँत होकर बैठ गई। उसने पानी पिया। फिर दिल खोल कर अपनी समस्या बताई। चर्चा 4 घँटे चली और फिर वह ससुराल वापस चली गई। अभी कुछ दिन पहले वह महिला मिलने आई, यह बताने कि अब उसका जीवन में सब ठीक चल रहा है।

तो अगर आपको भी अपने जीवनसाथी (पति/पत्नी) से शिकायत है तो कुछ दिन कुछ कदम मेरे साथ चलें। सबसे पहले आज एक कागज़ पर अपने साथी के प्रति 50 शिकायत और 10 उसकी विशेषताएँ लिखकर रखॆं। कल चर्चा यहीं से शुरू करूँगा – लिख कर रखिएगा।
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