बहते पानी को कौन बांध सका है। बस यही है जलसम प्रकृति। बेपरवाह, उन्मुक्त लहरों सी उठती गिरती भावनाएं। इन्हें मजा आता है बस किस्से सुनाने का। एक खत्म होने से पहले दूसरा शुरू। कभी कभी तो हैरान होता हूँ कि इतने किस्से लाते कहा से हैं।
मगर आपने अभी कोई काम कहा और बातों में भूल गया। याद है फिल्म ‘शोले’ की ‘बसंती’। हाँ बात हो दो महीने बाद किसी पार्टी की, तो आपको सटीक कितने दिन बचे हैं रोज बता सकते हैं। बस यहीं से समस्या शुरू।
पर स्वीकार कीजिए के वे ऐसे ही हैं। उनके किस्से इस प्यार से सुनिए कि आप रुचि ले रहे हैं। सही समय पर प्यार से टोक कर कहें “आपकी बात बहुत मजेदार है, यह काम कर लें फिर आराम से सुनते हैं”। जहाँ आप टोकना भूले सुबह से शाम हो जाएगी काम कहाँ गया पता नहीं पर किस्सा अभी भी जारी है।
जलसम को बाँधने के लिए किनारे स्थापित करने ही पडते हैं – मगर प्रयास रखें कि कठोरता से पेश ना आएँ। बहुत संवेदनशील है यह व्यक्तित्त्व। आपके लिए जो सामान्य हो सकता है वह इन्हें अंदर तक झकझोर सकता है। चेहरे के हाव भाव पर भी बहुत ध्यान रखें। इनका संवेदन-तंत्र बहुत परिष्कृत है।
आगे कल...
इसी क्रम में पिछले लेख –
उलझते रिश्ते – कैसे सुलझाएँ - भाग 1 , 2 , 3 , 4 , 5 , 6 , 7 , 8 , 9 , 10 , 11 , 12
संबंधित लेख –
जीवनसाथी से बढते विवाद – क्या करें - भाग - 8 , 7 , 6 , 5 , 4 , 3 , 2 , 1
मगर आपने अभी कोई काम कहा और बातों में भूल गया। याद है फिल्म ‘शोले’ की ‘बसंती’। हाँ बात हो दो महीने बाद किसी पार्टी की, तो आपको सटीक कितने दिन बचे हैं रोज बता सकते हैं। बस यहीं से समस्या शुरू।
पर स्वीकार कीजिए के वे ऐसे ही हैं। उनके किस्से इस प्यार से सुनिए कि आप रुचि ले रहे हैं। सही समय पर प्यार से टोक कर कहें “आपकी बात बहुत मजेदार है, यह काम कर लें फिर आराम से सुनते हैं”। जहाँ आप टोकना भूले सुबह से शाम हो जाएगी काम कहाँ गया पता नहीं पर किस्सा अभी भी जारी है।
जलसम को बाँधने के लिए किनारे स्थापित करने ही पडते हैं – मगर प्रयास रखें कि कठोरता से पेश ना आएँ। बहुत संवेदनशील है यह व्यक्तित्त्व। आपके लिए जो सामान्य हो सकता है वह इन्हें अंदर तक झकझोर सकता है। चेहरे के हाव भाव पर भी बहुत ध्यान रखें। इनका संवेदन-तंत्र बहुत परिष्कृत है।
आगे कल...
इसी क्रम में पिछले लेख –
उलझते रिश्ते – कैसे सुलझाएँ - भाग 1 , 2 , 3 , 4 , 5 , 6 , 7 , 8 , 9 , 10 , 11 , 12
संबंधित लेख –
जीवनसाथी से बढते विवाद – क्या करें - भाग - 8 , 7 , 6 , 5 , 4 , 3 , 2 , 1