Thought of the day

When all else is lost, the future still remains.

~ Jyotish Parichaye

Saturday, January 5, 2008

उलझते रिश्ते – कैसे सुलझाएँ 5

कल हमने जाना कि कितना सरल है किसी ‘अग्निसम’ व्यक्ति को पहचानना। आपका तो पता नहीं पर जब मैं इस भेद को समझ पाया तो एक व्यक्ति मुझ पर झल्ला रहा था। मैं यह सोचकर मुस्कुरा रहा था “हाँ यही, मिल गया ‘अग्निसम’”। मैं मुस्कुरा रहा था यह देख वह और झल्ला रहा था और वह झल्ला रहा है यह देख मैं और मुस्कुराता रहा...

खैर। जितना आसान है ‘अग्निसम’ को ढूँढना, उससे भी ज्यादा आसान है ‘जलसम’ व्यक्तित्त्व को ढूँढना। वे हैं ही ऐसे कि एक बार तो बरबस ही ध्यान उनकी ओर खिंच जाए। प्रकृति मानो जल – जहाँ, जिसमें डाला, वहीं उसी रंग में रंग गए। किसी भी आयोजन में ढेरों बातें करते (करते कहूँ या बताते) मिल जाएंगे।

“अरे पता है, उस दिन क्या हुआ...(और मिनट दर मिनट, बात दर बात ब्यौरा शुरू)”
“उसने यह कहा, फिर मैंने यह कहा, फिर उसने यह कहा...”
“तुम उसके बारे में नहीं जानते... (और कहानी शुरू)”

हँसिए मत, खीजिए भी मत। कोई न कोई तो है हमारे आसपास, हम ही में से जो इस प्रकृति का स्वामी है। बस पहचान लीजिए और याद रखें कि यह ‘जलसम’ है – ताकि उलझी डोर सुलझानी आसान हो जाए।


इसी क्रम में पिछले लेख –
उलझते रिश्ते – कैसे सुलझाएँ - भाग
1 , 2 , 3 , 4

संबंधित लेख –
जीवनसाथी से बढते विवाद – क्या करें - भाग -
8 , 7 , 6 , 5 , 4 , 3 , 2 , 1

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