Thought of the day

Wednesday, December 5, 2007

मानव अस्तित्त्व का चौथा आयाम

बहुत दिनों से मैं अपनी बात को शब्द नहीं दे पा रहा था, सो लिखने से भी बच रहा था। जैसा कि मैं हमेशा कहता हूँ ज्योतिषी भी भाग्य के अधीन है। अतः मैंने भूमिका लिखकर शेष लेख को सोचने के लिए छोड दिया।

पिछले दिनों में किन्ही ने लिखा कि टैलीपैथी और पूर्वाभास एक ही बात है।

हर व्यक्ति चार से अधिक आयाम में जीता है। तीन आयाम से हम सभी परिचित हैं – वे दृश्य हैं। चौथा आयाम अदृश्य है – कालांतर। इसे कई प्रकार से समझा या समझाया जा सकता है। हर व्यक्ति एक ही समय में अपने वर्तमान, भूत और भविष्य में एक साथ होता है। मेरी बात अभी अटपटी लग सकती है पर ज्यादा समय तक नहीं।

जिस समय व्यक्ति वर्तमान में मौजूद हैं वहीं उसी समय उसका अचेतन मन कालांतर की यात्रा पर हो सकता है। और हर व्यक्ति की गति और अनुभूति उसके संस्कारों (संचित कर्मों) पर आधारित होगी। अतः कुछ लोगों को भूत अथवा भविष्य की अनुभूति दूसरे लोगों से अधिक होती है। जहाँ उनके अचेतन मन ने भविष्य की यात्रा शुरू की, उन्हें अनुभूतियाँ शुरू। इसे पूर्वाभास भी कह सकते हैं।

टैलीपैथी एक भिन्न प्रक्रिया है। ईश्वर ने चाहा तो आगामी लेखों में कभी इसकी चर्चा करूँगा।

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