Thought of the day

Astrology is said to be a window to Vedas just like vision to a man. An astrologer with the help time tested principles and various tools of prediction looks at the high & low tides in destiny and can unfold the mystery of future.

~ Jyotish Parichaye

Thursday, October 11, 2007

मेरे ज्योतिष-गुरू के श्री मुख से

बात उन दिनों की है जब मैं ज्योतिष पढ रहा था। महीने में एक बार आध्यात्म की भी कक्षा होती थी। यद्यपि पूरी चर्चा ही विशेष होती थी किंतु कुछ पंक्त्तियाँ मेरे ह्रदय-पटल पर जैसे छप ही गईं। आज भी जब मैं कभी दुविधा में होता हूँ तो इन्ही पंक्त्तियों से ही मार्ग पूछता हूँ।

इस आशा में कि पाठक भी लाभान्वित होंगे, उन्हें यहाँ प्रकाशित कर रहा हूँ।

यह आवश्यक नहीं कि आध्यात्मिक स्तर पर सम्पन्न व्यक्ति सामाजिक (Material) स्तर पर भी सम्पन्न होगा या सामाजिक स्तर पर सम्पन्न व्यक्ति आध्यात्मिक स्तर पर भी सम्पन्न हो। किंतु वास्तविक सम्पन्नता आध्यात्मिक ही है।

प्रायः लोग राजयोग कारक दशा को आर्थिक उन्नति के रूप में देखते व प्रयोग करते हैं। हम भूल जाते हैं ‘योग’ जो कि योगकारक का मूल है। जो व्यक्ति योगकारक दशा को आध्यात्मिक उन्नति में प्रयोग करता है, अर्थात योग करता है, वही स्मृद्ध है। बाकी सब का पतन निश्चित है।

ज्योतिष जिज्ञासु व ज्योतिष प्रेमी में फर्क समझो।

हम अक्सर जीवन में विरोधाभास घटनाओं का होना पाते हैं। विरोधाभास प्रकृति में नहीं हमारे दृष्टिकोण में है, क्योंकि प्रकृति में विरोधाभास हो ही नहीं सकता।

ज्योतिषी गलत हो सकता है, ज्योतिष नहीं।

कर्म से अकर्म की ओर जाना ही मोक्ष का मार्ग है।

समाज अन्धा है, किंतु एक ज्योतिषी नहीं। एक ज्योतिषी कुण्डली के माध्यम से व्यक्ति में बहता (चाहे वह अदृश्य ही हो) जीवन प्रवाह देख सकता है। सही दशा में जीवन-धारा को सही दिशा देना (मार्ग बताना) ही ज्योतिष क ध्येय है।

कुछ अन्य स्त्रोतों से:
लोग प्रायः ज्योतिषी के पास आते हैं कि उनके भाग्य को बदल दें। ज्योतिषी केवल मार्गदर्शक है। वह आपको बता सकता है कि जीवन प्रवाह किस ओर ले जाएँ। भाग्य बदलना ज्योतिषी का सामर्थ्य नहीं। प्राप्त दशाओं का सदुपयोग ज्योतिषी का परामर्श है।

जीवन की मुख्य धारा भाग्य के अधीन है, किंतु दैनिक कर्म के लिए आप स्वतंत्र हैं। आपके नित्य कर्म ही आपके संचित कर्म हैं और आपके भाग्य-निर्धारक भी।

हम अक्सर ईश्वर से शिकयत करते हैं कि हमें यह नहीं दिया, वो नहीं दिया। हम भूल जातें है कि उसी ईश्वर ने हमें एक सुन्दर मानव शरीर, स्वस्थ देह, स्वस्थ मन प्रदान किया है। कल्पना कीजिए उन लोगों कि जो शारीरिक रूप से असंतुलित हैं।
Related Articles:
Astrology
in Hindi
Myth Busters


Copyright: © All rights reserved with Sanjay Gulati Musafir