Thought of the day

Friday, January 4, 2008

उलझते रिश्ते – कैसे सुलझाएँ 4

किसी भी समस्या को सुलझाने का सबसे आसान उपाय है सीधा समस्या की जड पर काम करें। इसके लिए आवश्यक है कि हम समझ सकें कि हमारी प्रकृति और जरूरत क्या है। इसी तरह अन्य पक्ष की प्रकृति और जरूरत क्या है। यहाँ यह समझ लेना भी आवश्यक है कि पुरूष और स्त्री कोई भी किसी प्रकृति का हो सकता है। किसी प्रकृतिअ पर किसी का एकाधिकार नहीं।

आज हम बात करते हैं ‘अग्निसम’ व्यक्ति की।

जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि ‘अग्निसम’ स्वभाव से अत्याधिक गुस्सैल होते हैं। किसी को बात समझाने हो तो ऐसे समझाते है मानों कोई हुक्म दे रहे हों। उनके जीवन का मूलमंत्र है – “मैं सही हूँ”। जहाँ आपने कुछ समझाने की चेष्टा की तो तुरंत उत्तेजित हो जाते हैं। उनको ढूँढने का सबसे आसान तरीका है, सीधा वहाँ जाएँ जहाँ से चिल्लाने की आवाज आ रही हो और आसपास सभी भीगी-बिल्ली बने सुन रहे हों।

आशा है इस लघु जानकारी से आप किसी ‘अग्निसम’ को सरलता से छाँट पाएँगे। अभी ध्येय है यह पता लगाना कि हमारे इर्द-गिर्द जो लोग हैं उनकी मूल-प्रक़ृति क्या है। आगामी लेखों में जहाँ गुत्थियाँ सुलझाने की बात होगी वहाँ कुछ विस्तृत बात करेंगे।


इसी क्रम में पिछले लेख –
उलझते रिश्ते – कैसे सुलझाएँ - भाग
1 , 2 , 3

संबंधित लेख –
जीवनसाथी से बढते विवाद – क्या करें - भाग -
8 , 7 , 6 , 5 , 4 , 3 , 2 , 1
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