अगर किसी उलझे धागे को खोलना/सुलझाना हो तो सबसे जरूरी क्या चाहिए? विचार कीजिए।
मानव ईश्वर की बनाई सबसे जटिल रचनाओं में से एक है। हर व्यक्ति दूसरे से अलग। हम चर्चा कर चुके हैं चार मूल प्रकृतियों की। पर क्या मनुष्य के स्वभाव को इतनी सरलता से वर्गीकृत किया जा सकता है। स्पष्ट उत्तर है “नहीं”।
प्रकृति में तीन मूल रंग है – लाल, पीला और नीला। सभी रंग इन्हीं तीन रंगों के अलग-अलग मिश्रण से बने हैं। कभी कभी तो यह भी विश्वास नहीं होता कि इस रंग में ये मूल रंग शामिल हैं। बस यही जटिलता मानव-स्वभाव में है। चार मूल प्रकृतियों – अग्नि, पृथ्वी, वायु और जल का अनियमित मिश्रण।
हम एक धागा पकड कर सुलझाने लगते हैं तो पता चलता है कि आगे कुछ गाँठ पडी है। अनेकों धागे (मानव-स्वभाव के रूप) एक साथ उलझे पडे हैं। पर कहीं हमें यह पता होना चाहिए कि धागा एक ही – बस उलझा हुआ सा। किसी एक उलझन को काट दिया तो धागा कट जाएगा। अतः काटे नहीं, सुलझाएँ।
और सुलझाने के लिए सबसे पहले चाहिए – सब्र। कल चर्चा आगे बढाऊँगा – तब तक के लिए – इजाज़त।
इसी क्रम में पिछले लेख –
उलझते रिश्ते – कैसे सुलझाएँ - भाग 1 , 2 , 3 , 4 , 5 , 6 , 7
संबंधित लेख –
जीवनसाथी से बढते विवाद – क्या करें - भाग - 8 , 7 , 6 , 5 , 4 , 3 , 2 , 1
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हम एक धागा पकड कर सुलझाने लगते हैं तो पता चलता है कि आगे कुछ गाँठ पडी है। अनेकों धागे (मानव-स्वभाव के रूप) एक साथ उलझे पडे हैं। पर कहीं हमें यह पता होना चाहिए कि धागा एक ही – बस उलझा हुआ सा। किसी एक उलझन को काट दिया तो धागा कट जाएगा। अतः काटे नहीं, सुलझाएँ।
और सुलझाने के लिए सबसे पहले चाहिए – सब्र। कल चर्चा आगे बढाऊँगा – तब तक के लिए – इजाज़त।
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