Thought of the day

Astrology is said to be a window to Vedas just like vision to a man. An astrologer with the help time tested principles and various tools of prediction looks at the high & low tides in destiny and can unfold the mystery of future.

~ Jyotish Parichaye

Friday, January 11, 2008

उलझते रिश्ते – कैसे सुलझाएँ 11

कल हमने जाना कि किस तरह शुरु में दिखने वाले गुण बाद में अवगुण दिखने लगते हैं। कुछ ही समय बाद अग्नि पृथ्वी को सुखाने लगती है और पृथ्वी अग्नि को बुझाने। क्या होता है एक वायुसम और जलसम के बीच इसे समझते हैं।

यह तो हम जानते ही हैं कि वायुसम और जलसम चुम्बक से खिंचे चले आएंगे।

वायुसम आज खुश है कि किसी जीवंत व्यक्ति से मुलाकात हुई है।
जलसम की आज हर चर्चा में वायुसम है कि कितना ठहराव है उसमें।

और कुछ समय बाद...

वायुसम सोच रहा है – हर समय ‘बडबड’ चुप रहना कब सीखेगा यह जलसम।
जलसम हर जगह बता रहा है – कितना नीरस है है वह, ठहरे पानी जैसा।

तो हो क्या रहा है! हम पसंद तो करते हैं इसलिए कि वह हमसे अलग है, और पसंद आते ही अपने जैसा बनाने में जुट जाते हैं। अगर अपने दोस्त, साथी, सहकर्मी से उलझे तारों को सुलझाना है तो पहला मूल-मंत्र है कि उन्हें जैसा है वैसा ही स्वीकार करें। पहले स्वयं को बताएं “मुझे वह यथारूप पसंद है”। अब तत्काल उन्हें/उसे “जानते हो मुझे तुम्हारी सबसे अच्छी बात क्या लगती है – तुम्हारा मेरे जीवन में होना”।

कल चर्चा करूँगा – यथारूप स्वीकार कैसे किया जा सकता है। कल मिलते हैं...


इसी क्रम में पिछले लेख –
उलझते रिश्ते – कैसे सुलझाएँ - भाग
1 , 2 , 3 , 4 , 5 , 6 , 7 , 8 , 9 , 10

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जीवनसाथी से बढते विवाद – क्या करें - भाग -
8 , 7 , 6 , 5 , 4 , 3 , 2 , 1

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