पिछले लेखों में हमने पाया कि अग्निसम और जलसम व्यक्तित्त्व के लोगों के लिए सबसे कारगर है आपकी श्रवण क्षमता और सही समय पर सही शब्दों का उपयोग। किंतु भूमिसम व्यक्ति कुछ अलग है।
सामान्यतः यह लोग शांत रहते हैं और अपनी भावनाएं प्रकट नहीं करते। बहुत ज्यादा मेलजोल या भीडभाड भी ये पसंद नहीं करते। अक्सर इनकी इर्दगिर्द रहने वाले यही शिकायत करते हैं “कुछ कहे बताए तो पता चले” “पता नहीं हर समय गुमसुम सा रहना, कुछ बताते भी तो नहीं”
और इनका एक ही उत्तर होगा “कुछ हो तो बताऊँ न”
असल में इनका मूकप्राय रहना अस्वाभाविक होने सा प्रतीत होता है। आप कोई सवाल भी करेंगे तो अक्सर जवाब होगा “जो तुम ठीक समझो”। इससे हम यह मान लेते हैं कि बहुत रूठा है।
केवल दो राय – पहला कि मान लें इनका मौन रहना या हमेशा दुविधा की सी स्थिति में रहना स्वाभाव है। जो आज बताया है वह कल फिर समझाना होगा – हर बार समझाना होगा।
दूसरा यह कि – बेहतर हो कि आप दो चुनाव देकर, कहें “मैं यह समझता हूँ कि आपके लिए यह बेहतर रहेगा”। यदि वे आपसे असहमत होंगे तो बता देंगे नहीं तो वही पुराना “जो तुम ठीक समझो”।
बस याद इतना रखिएगा, कि कभी इन्हें गुस्सा आ गया तो अग्निसम को संभालना आसान है, लेकिन इन्हें... आपको मेरी शुभकामनाएँ...
आगे चर्चा कल...
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उलझते रिश्ते – कैसे सुलझाएँ - भाग 1 , 2 , 3 , 4 , 5 , 6 , 7 , 8 , 9 , 10 , 11 , 12 , 13
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दूसरा यह कि – बेहतर हो कि आप दो चुनाव देकर, कहें “मैं यह समझता हूँ कि आपके लिए यह बेहतर रहेगा”। यदि वे आपसे असहमत होंगे तो बता देंगे नहीं तो वही पुराना “जो तुम ठीक समझो”।
बस याद इतना रखिएगा, कि कभी इन्हें गुस्सा आ गया तो अग्निसम को संभालना आसान है, लेकिन इन्हें... आपको मेरी शुभकामनाएँ...
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