मन्नत माँगना बहुत आसान है कि हे ईश्वर हमारा यह काम करवा दो हम यह/वो कर देंगे। और अक्सर भूल जाते हैं ईश्वर से किया वादा यह सोचकर कि ‘कर देंगे’ आदि आदि। सबकी अपनी वजह हो सकती हैं मन्नत पूरी न कर पाने की।
पिछले लगभग एक पक्ष से मेरे पास लगातार ऐसे मामले आ रहे हैं जहाँ लोगों ने माँगी हुई मन्नत पूरी नहीं की और अब उसका भुगतान कर रहे हैं। मन भी बहुत विचित्र है। परसों (11 दिसम्बर 2007) को बैठे बैठे मन में विचार आया कि कोई ऐसा मामला आए जिसे मैं सबके लिए बतौर उदाहरण प्रस्तुत कर सकूँ। कल शाम को अचानक आ गया।
वे आए, बैठे और बोले बच्चे के बारे में पूछना है। मैंने छूटते ही पूछा – “बच्चा बीमार तो नहीं”। जब उत्तर हाँ आया तो मैंनें उन्हें कहा कि “आपका हल हो गया। बहुत आसान है। पहले मन शांत करो फिर बात करता हूँ”
बेटे को ब्लड-कैंसर हुआ है। कुण्डली देखी और मैं केवल दो बातें बोला –
डॉक्टर बिल्कुल सही इलाज कर रहे हैं, अतः उन्हें पूरा सहयोग करें।
कोई मन्नत मांगी हुई पूरी नहीं की – उसे पूरा करें।
इतना बताना था कि अधूरी मन्नत की पूरी सूची ही मिल गई।
अब साहब आप कुछ भी कहें – अंध्विश्वास, पागलपन। या कुछ भी सवाल करें कि मन्नत पूरी न करना और कैंसर का क्या वैज्ञानिक संबंध है। मेरे पिटारे में कुछ नहीं है साबित करने को। केवल इतना कि कुण्डली चिल्ला-चिल्ला कर कह रही है – कोई मन्नत अधूरी है।
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बेटे को ब्लड-कैंसर हुआ है। कुण्डली देखी और मैं केवल दो बातें बोला –
डॉक्टर बिल्कुल सही इलाज कर रहे हैं, अतः उन्हें पूरा सहयोग करें।
कोई मन्नत मांगी हुई पूरी नहीं की – उसे पूरा करें।
इतना बताना था कि अधूरी मन्नत की पूरी सूची ही मिल गई।
अब साहब आप कुछ भी कहें – अंध्विश्वास, पागलपन। या कुछ भी सवाल करें कि मन्नत पूरी न करना और कैंसर का क्या वैज्ञानिक संबंध है। मेरे पिटारे में कुछ नहीं है साबित करने को। केवल इतना कि कुण्डली चिल्ला-चिल्ला कर कह रही है – कोई मन्नत अधूरी है।
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