कहते हैं क्रोध विवेक का नाश करता है। गुस्सा आता सभी को है – किसी को सामान्य स्तर तक तो कुछ को असामान्य स्तर तक। यदि आप अपने गुस्से से परेशान हैं तो निःसंदेह आपके पास सलाह की सूची भी लम्बी ही होगी।
अपनी बात शुरू करने से पहले केवल इतना ही कहूँगा कि अधिकतर जो भी राय आपके पास होंगी वे अच्छी ही होंगी। अतः किसी भी राय को कुछ (लम्बे) अंतराल तक विश्वास के साथ मानें। अक्सर हम प्रयास ऐसे समय पर छोड देते हैं जहाँ सिर्फ अगला कदम भर परिस्थिति बदल सकता था।
बहुत सी सलाह में एक और शामिल –
यदि आप प्रातःकाल चन्द्र नासिका में उठें तो बहुत लाभ होता है।
कुछ यूँ समझें –
हमारी दो नासिका हैं। पर एक समय पर केवल एक ही नासिका चलती है। लगभग 1-1 घँटे के अंतराल पर नासिका बदलती है। आपकी बाईं नासिका चन्द्र नासिका है – जिससे अनुलोम-विलोम आरंभ किया जाता है।
सुबह जब बिस्तर छोडें तो ध्यान दें कि कौन सी नासिका चल रही है। यदि सौर (दाँईं) नासिका चल रही हो तो कुछ मिनट दाँईं करवट लेटें (ताकि चन्द्र नासिका आकाश/ऊपर की ओर हो जाए)। कुछ मिनट में नासिका बदल जाएगी।
यदि आप निरंतर चन्द्र नासिका में उठने का अभ्यास रखें तो निःसंदेह लाभ महसूस करेंगे।
फीस – अगर लाभ हो तो किसी जरूरतमंद को भी यह क्रिया बताएं।
अपनी बात शुरू करने से पहले केवल इतना ही कहूँगा कि अधिकतर जो भी राय आपके पास होंगी वे अच्छी ही होंगी। अतः किसी भी राय को कुछ (लम्बे) अंतराल तक विश्वास के साथ मानें। अक्सर हम प्रयास ऐसे समय पर छोड देते हैं जहाँ सिर्फ अगला कदम भर परिस्थिति बदल सकता था।
बहुत सी सलाह में एक और शामिल –
यदि आप प्रातःकाल चन्द्र नासिका में उठें तो बहुत लाभ होता है।
कुछ यूँ समझें –
हमारी दो नासिका हैं। पर एक समय पर केवल एक ही नासिका चलती है। लगभग 1-1 घँटे के अंतराल पर नासिका बदलती है। आपकी बाईं नासिका चन्द्र नासिका है – जिससे अनुलोम-विलोम आरंभ किया जाता है।
सुबह जब बिस्तर छोडें तो ध्यान दें कि कौन सी नासिका चल रही है। यदि सौर (दाँईं) नासिका चल रही हो तो कुछ मिनट दाँईं करवट लेटें (ताकि चन्द्र नासिका आकाश/ऊपर की ओर हो जाए)। कुछ मिनट में नासिका बदल जाएगी।
यदि आप निरंतर चन्द्र नासिका में उठने का अभ्यास रखें तो निःसंदेह लाभ महसूस करेंगे।
फीस – अगर लाभ हो तो किसी जरूरतमंद को भी यह क्रिया बताएं।