Thought of the day

Wednesday, January 2, 2008

उलझते रिश्ते – कैसे सुलझाएँ 1

यदि कभी कहीं चर्चा हो कि दुनिया का सबसे बडा कलाकार कौन है तो उत्तर होगा ईश्वर/प्रकृति। सच भी है। हर व्यक्ति और उसके व्यक्तित्त्व को एक अलग ही साँचे में ढाला है इस कलाकार ने। एक ओर हम इस जटिल कला को देखकर विस्मित हैं। पर जब बात संबंधों की आती है तो यह एक अनसुलझी सी पहेली बन जाती है।

आइए नजर डालें आपके-मेरे जीवन में सुनाई देती कुछ आवाजों पर। जरूरी नहीं कि सभी आप पर लागू हों। यह तो झलक भर है –

* मुझे समझ नहीं आता कि मेरा सामान ठीक अपनी ही जगह पर वापिस क्यों नहीं होता
* तुम घर संभाल नहीं सकते क्या
* ठीक है सीधे सीधे बताओ क्या हुआ था, इतनी लम्बी कहानी की जरूरत नहीं
* जो मैं कह रहा हूँ बस वही सही है – कोई सवाल जवाब नहीं
* पता नहीं मेरी इतनी सीधी सी बातें तुम्हें किस दिन समझ आएँगी
* तुम अपने दिल की बात क्यों नहीं बताते – हमेशा चुप चुप क्यों रहते हो
* तुम खुले नल पर टोकना कभी नहीं भूलते फिर तेल की शीशी बंद करना और तौलिया ले जाना कैसे भूल जाते हो।
* हाँ, पर ऐसा करने से क्या होगा? अच्छा, तो फिर इससे क्या होगा? हूँ, तो फिर ये करने से... ????

कभी कभी ऐसा नहीं लगता कि शायद आप किसी ऐसी जुबान में बात कर रहे हैं जो आपके मित्र-परिवार-जीवनसाथी को समझ ही नहीं आती!


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