Thought of the day

I cannot choose how I feel, but I can choose what I do about it.

~ Jyotish Parichaye

Monday, April 25, 2011

सत्य साईं बाबा से मेरी मुलाकात

बात है 2008 मध्य की। मेरे कुछ जापानी मित्र पुट्टापर्थी तीर्थ-यात्रा हेतु जा रहे थे। उनका विशेष आग्रह था कि मैं भी उनका साथ चलूँ। मन में सोचा कि चल कर तमाशा ही देखा जाए और पहुँच गए हम भी।

मेरे अनुभव –
* जैसी भौगोलिक परिस्थितियाँ वहाँ थी, उनके चलते संसाधनों की कोई कमी नहीं थी।
* जहाँ उस परिस्थिति में लोग पलायन कर जाते, पर्यटन के चलते आजीविका के वहाँ सुअवसर थे।

पर प्रशांती निलयम में क्या हो रहा था –
* मैंने लोगों को आशा और निराशा में झूलते वहाँ पहुँचते देखा।
* प्रार्थना के समय वातावरण आनंदमय था। अनिच्छा से पहुँचा मेरे जैसा व्यक्ति भी अगले प्रार्थना काल की प्रतीक्षा करता था।
* प्रार्थना के बाद उन्हीं लोगों को आशान्वित लौटते देखा।

यश/अपयश, वृद्धि/विवाद तराजू के दो पलडे हैं – साथ-साथ ही रहेंगे।

मैं आज भी नहीं जानता कि सत्य साईं केवल मानव थे, अवतार थे या क्या थे?

पर इतना यकीन से जानता हूँ कि उन्होंने अपना भाग्य भोगा -
अनेकों मानव जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित करने का। 
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