Thought of the day

Life stream is guided by Destiny. But we are open to perform our daily karma. Our daily karma becomes a guideline to our destiny.

~ Jyotish Parichaye

Thursday, September 20, 2007

मुहूर्त्त – कब और क्यों

आइए कुछ सामान्य समस्याओं पर नज़र डालें ।



1) कुण्डली मिलने के बावजूद वैवाहिक संबंधों में परेशानी होना
2) व्यापार में घाटा
3) घर में शांति न होना
4) वाहन का ठीक न चलना, या बार-बार Accident होना
5) फैक्टरी, ऑफिस आदि में अनिश्चितता क वातावरण रहना
6) आप्रेशन या इलाज का ठीक न हो पाना


यदि आप ऐसा कुछ अपने या अपने किसी नज़दीकी व्यक्ति के साथ होता देख रहे हैं तो एक कारण मुहूर्त्त का ठीक होना हो सकता है ।


या कभी कभी यूँ भी होता है कि मुहूर्त्त का दिन देखकर ही शुभारंभ किया था पर फिर भी अनिष्ट ही हुआ ।


इससे पहले कि मैं एक विस्तृत चर्चा आगे बढाऊँ, आवश्यक है कि यह समझ लिया जाए कि मुहूर्त्त है क्या।


मुहूर्त्त को यदि सरलतम भाषा में समझाऊँ तो यही कह सकता हूँ कि किसी भी कार्य का न केवल शुभारंभ अपितु उस कार्य की धुरी मुहूर्त्त है। जितनी सशक्त धुरी होगी उतनी सफल कार्य। शायद मेरी बात कुछ बुद्धिजीवी अभी मान न पाएँ इसलिए प्रामाणिक उदाहरण देता हूँ।
भारत और पाकिस्तान को अपनी आज़ादी का समय चयन करने के लिए 24 घंटे का समय दिया गया था। उन 24 घंटों मे कोई भी समय दोनों देश चुन सकते थे। चूँकि ज्वाहर लाल नेहरू जी का ज्योतिष के प्रति विशेष विश्वास था, ज्योतिषियों के मत से भारत की आज़ादी का समय 15 अगस्त 1947 मध्यरात्रि चुना गया। पाकिस्तान के मापदण्ड भी स्पष्ट थे, कोई भी हो पर भारत से पहले। इसलिए उन्होंने सर्वाधिक देय फासला चुना – 24 घण्टे अर्थात 14 अगस्त 1947 मध्यरात्रि। श्री ज्वाहर लाल नेहरू द्वारा दी आज़ादी के समय की उद्घोष्णा कई रूप में तर्कपूर्ण है – “The Appointed Day has come! The day Appointed by our Destiny.” विचारणीय है कि एक दिन के दो छोर पर आज़दी का चयन कितना बढा फ़ासला ला सकता है। एक सही या गलत चुनाव विश्वस्तर पर दो देशों को कितना दूर ले जा सकता है। कौन से मापदण्ड सही थे कहने की आवश्यकता नहीं। प्रत्यक्ष को प्रमाण क्या।


कुछ अन्य उदाहरण प्रस्तुत करता हूँ –
1) भारत के संविधान की घोषणा का मुहूर्त्त – 26 जनवरी 1950 मध्यरात्रि
2) कांग्रेस(इ) का गठन
3) इंदिरा गांधी द्वारा ली सभी पद व गोपनीयता की शपथ


पौराणिक उदहरणों में सबसे विशेष – भगवान राम का रावण पर चढाई करने के लिए विजय मुहूर्त्त का चयन ।


आइए अब मुहूर्त्त की अन्य बारीकियों पर नज़र डालें।

आपके मत में मुहूर्त्त का मान क्या है? – एक दिन विशेष, या एक समय विशेष! मैं सलाह दूँगा कि आगे पढने से पहले इस प्रश्न पर विचार ज़रूर करें और एक निश्चित उत्तर के साथ आगे बढें ।

निःसंदेह मुहूर्त्त का चयन कार्य से संबंधित सही दिन चुनने से ही शुरू होता है । कोई दिन विशेष विवाह के लिए अच्छा हो सकता है पर शायद गृह-प्रवेश के लिए नहीं। सही दिन के चयन के बाद सही घडी (घटी) का चयन भी बहुत महत्त्वपूर्ण है। पुराणों के अनुसार एक मुहूर्त्त लगभग 24 मिनट का होता है। किंतु अपने अनुभव से मैंने पाया कि यदि उसे सही 12 मिनट तक छोटा करके उसी दौरान कार्य आरम्भ किया जाए तो प्रभाव विशेष मिलता है।

अब अगला प्रश्न यह उठता है कि मुहूर्त्त की आवश्यकता कहाँ-कहाँ है। उत्तर है – लगभग हर उस घटना में जो महत्त्वपूर्ण है। उदाहरण के लिए – विवाह, गृह-प्रवेश, भूमि-पूजन, व्यापार-आरम्भ यह तो सभी जनते हैं। इन से ज़्यादा महत्त्वपूर्ण हैं – इलाज शुरू करना, यात्रा, मकान या प्रॉपर्टी का कय-विक्रय, वाहन खरीदना आदि।

अंत में अपने अनुभवों के आधार पर यह दृढता के साथ कह सकता हूँ कि अच्छे मुहूर्त्त का सही चयन करके किया कार्य वांञ्छित फल प्राप्त किये जा सकते हैं ।
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