Thought of the day

Often people mistake Raj Yoga dasha to be period of material growth. But they forget that the basis of Raj Yoga is yoga. A person who uses Rajyoga dasha for spiritual growth is truly wealthy.

~ Jyotish Parichaye

Sunday, November 4, 2007

राहु की माया राहु ही जाने

ज्योतिष की आलोचना करने वाले अक्सर राहु/केतु के होने पर सवाल उठाते हैं। वे अक्सर कहते हैं “राहु/केतु का तो कोई अस्तित्त्व ही नहीं है।” बरबस ही मेरे मुख से निकल जाता है “वाह! क्या बात कही है” इससे बेहतर तो मैं भी राहु/केतु को नहीं समझा सकता।

सच यही है कि ज्योतिष में राहु/केतु को समझना है तो याद रखो – जिसका अस्तित्त्व नहीं है। यही दिखाता है राहु एक कुण्डली में – Unfounded fears (कुछ ऐसा जिसका आधार न हो)।

कल मेरे एक मित्र का फोन आया। उन्होंने बताया कि पिछ्ले दिनों उनकी तबीयत खराब थी और डॉक्टरों ने दुनिया-जहां के टेस्ट करवाने के बाद बताया कि कुछ नहीं है – सब ठीक है। एक ज्योतिषी की सहजवृत्ति ने जोर मारा और मैं उनकी कुण्डली में खो गया। उनकी वर्तमान दशा शुक्र/राहु की चल रही है। मुझे समझते देर नहीं लगी।

मनोविज्ञान में एक पद है ‘पूर्वाग्रह’। यह एक ऐसी स्थिति है जब व्यक्ति अपनी परिकल्पना, अपने किसी विचार को खुद पर हावी होने देता है और फिर उसी परिस्थिति को सही समझने लगता है। मैंने उनसे केवल यही कहा “सब कुछ सही है किंतु आप फिर भी शांत नहीं। आप अपने काम का स्ट्रैस (मानसिक दबाव) ज्यादा लेते है जिस कारण सेहत पर असर होता है”। सच भी यही है। इसे उनकी प्रकृति कहें या पूर्वाग्रह कि पिछ्ले कुछ वर्षों में वे उन बातों की भी चिंता करते हैं जिसकी आम आदमी नहीं करता।

वाह रे राहु तेरी माया तूँ ही जाने...
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