Thought of the day

Life stream is guided by Destiny. But we are open to perform our daily karma. Our daily karma becomes a guideline to our destiny.

~ Jyotish Parichaye

Monday, November 5, 2007

कितना आसान है ...

कुछ दिन पहले दिल्ली के एक प्रख्यात ज्योतिषी (अगर उन्हें कहा जा सकता है) मुझसे मिलने आए। अब तो आदत सी हो गई है। बहाना मुलाकात का और सवाल आने वाले दिनों के हालात का। आए कुछ देर इधर उधर की हाँकी और फिर मुद्द-ए-खास आ ही गया। “ज़रा मेरे कुण्डली बाँचेंगे, कुछ समझना चहूँगा।” मेरे ज्योतिष गुरू तो हमेशा कहते हैं कि ज्योतिष-प्रेमी और जिज्ञासु में फर्क करना सीखो। अधिकतर लोग बात करेंगे ज्योतिष-प्रेम की और वह प्रेम सीमित हो जाता है उनकी अपनी कुण्डली पर आकर। खैर यहाँ चर्चा उनके प्रेम की है ही नहीं।

उनकी कुण्डली देखी तो समझ आ गया कि वे किस तरह के ज्योतिषी हैं। मैंने भी छूटते ही चेतावनी दी कि किसी भी ऐसे काम से बचें जिससे कानूनी उलझन आए क्योंकि आने वाले दिनों में संभावना बहुत प्रबल है। साहब पहले तो नकारते रहे। जब मैंने उन्हें स्पष्ट कहा कि मानना या न मानना आपकी मर्जी, मैंने अपना धर्म निभा दिया तो उनका उवाच सुनने वाला था।

" मैं कभी भी अगर ऐसा कोई काम करता हूँ तो सबसे पहले भगवान के नाम का 10% अलग कर देता हूँ!”

अरे वाह रे मेरे भोले भगत, कितना आसान तरीका निकाला। पहले पाप करो और फिर भगवान को रिश्वत देकर साझीदार करो!
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