मैं अजीब बातें करने के लिए प्रसिद्ध हूँ। शायद मुझे अच्छा लगता है। कहीं इसका बीज मेरे ज्योतिष गुरू ने मेरे भीतर डाला। वे अक्सर कहा करते थे “वह कहो जिसे ईश्वर आपको कहने के लिए प्रेरित कर रहा है। प्रश्नकर्ता के दबाव में मत बहिए”
अक्सर कोई विचार मुझे जगा देता है – और जब जाग गए तो सोना कैसा। आज अभी कुछ देर पहले नींद टूटी तो अपनी लिखी कविता की प्रथम पंक्तियाँ गुनगुना रहा था। उठा और कंप्यूटर पर आ बैठा।
अधिकतर पाठक मेरी बात पर विश्वास नहीं करेंगे। वर्षों तक मैंने इसी तरह रात को (असमय) उठकर घण्टों कंप्यूटर पर अपनी अंतःप्रेरणाओं का पीछा करते बिताए हैं। आज वही असमय की भागदौड एक अलग रूप ले चुकी है – यह ब्लॉग, मेरी लिखी सभी पुस्तकें उसी का छोटा सा अंग हैं।
केवल दो बातें –
* अपने सपने पूरे करने का सरलतम मार्ग है – जाग जाएँ।
* अपनी अंतःप्रेरणा को पहचाने और उसका अनुसरण करें।