ध्यान से सुनें, ईश्वर आपसे कुछ कह रहा है। कुछ है जो वो आपको बताना चहता है। अनदेखा मत करें।
अक्सर ईश्वर जब हमसे कुछ कहना चाहता है तो एक संदेशा भेजता है। हमारे आसपास घटित होने वाली ही कुछ घटनाओं मे छुपाकर। आम आदमी उसे एक आम घटना ही देखे-समझेगा। क्योंकि यह संदेश उसके के लिए है ही नहीं। यह संदेश केवल उसके लिए है जिसके लिए संप्रेशित हुआ है। या फिर उसके लिए जो इसे खोज रहा है।
कुछ यूँ समझना आसान होगा। आपका मोबाइल फोन कुछ विशेष तरंगों को पकडता व छोडता है। इस तरह आप एक नेटवर्क (तंत्र) से जुडे हैं। पर न तो तरंगे दिखती है और न ही आपके फोन के लिए भेजी तरंगे अन्य फोन ही पकडते हैं। वह संदेशा केवल आप के लिए है!
हो सकता है इस समय जब आप इस लेख को पढ रहे हैं कोई दुविधा आपको घेरे है। पर अभी इसी समय ईश्वर किसी विचार, किसी घटना, किसी व्यक्ति के रूप में आपसे कुछ कह रहा हो। ध्यान से सुनें।
* जरूरी नहीं हर बार वह संदेशा सकारात्मक या नकारात्मक ही हो। यह आपके और ईश्वर के बीच की वार्त्ता है। केवल ईश्वर ही जानता है कि उस समय क्या सर्वोत्तम है।
* जरूरी नहीं कि हर बार आप कोई प्रश्न करें और उत्तर आए। ईश्वर केवल वहाँ संकेत देता है जहाँ वो आपका हस्तक्षेप चाहता है।
* जरूरी नहीं आपके मेरे शकुन एक हों या उनका अर्थ एक हो। हर दृश्य-अदृश्य वस्तु ईश्वर के तंत्र का हिस्सा है।
मन में कुछ उलझन है। मन अशांत है। मन कुछ अनबुझे सवालों के जवाब खोज रहा है। शाँत। कुछ पल शाँत होकर खुद से और ईश्वर से बातें कीजिए। शाँत। ध्यान से सुनें, ईश्वर आपसे कुछ कह रहा है।