कल मेरी मुलाकात एक महिला से हुई। चर्चा चली तो उन्हें पता चला कि मैं ज्योतिषी हूँ। उन्होंने बहुत स्वाभाविक सा प्रश्न पूछा। स्वाभाविक इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि हर वह व्यक्ति जिस से मेरा परिचय पहली बार होता है वह यही प्रश्न करता है।
“तो क्या पूछा जा सकता है आपसे?” (तात्त्पर्य – ज्योतिष किस तरह के प्रश्नों क उत्तर दे सकती है)
और हमेशा की तरह मेरा भी चिर-परिचित उत्तर था –
“ज़मीन और आसमान के बीच में कुछ भी पूछ सकती हैं आप। या तो उत्तर दे दूँगा या माफी माँग लूँगा”
सच भी तो यही है कि ज्योतिष से जीवन का कोई भी पहलू तो अछूता नहीं। वह जड हो या चेतन, दृश्य हो या अदृश्य सभी कुछ ईश्वर की सत्ता के अधीन है। और ज्योतिष तो है ही ईश्वरीय कृपा से ईश्वर की मर्जी को पढना।
मेरे ज्योतिष गुरू तो हमेशा ही कहते हैं कि “ज्योतिषी गलत हो सकता है ज्योतिष नहीं”
इस चर्चा को अभी शेष करता हूँ। कल चर्चा करूँगा कि ज्योतिषी से चूक कहाँ होती है।
मेरे ज्योतिष गुरू तो हमेशा ही कहते हैं कि “ज्योतिषी गलत हो सकता है ज्योतिष नहीं”
इस चर्चा को अभी शेष करता हूँ। कल चर्चा करूँगा कि ज्योतिषी से चूक कहाँ होती है।