Thought of the day

Monday, October 29, 2007

ज्योतिष : क़र्ज़ के बदलते अर्थ

ज्योतिष में 6,8,12 वें भाव की दशा को हमेशा ध्यान से देखने की सलाह दी जाती है। आप किसी भी ज्योतिषीय पद्धति की बात करें, इन भावों क जब भी प्रभाव आएगा ज्योतिषी चौकन्ना हो ही जाएगा।

किंतु परिवेश बदल रहा है। अर्थ भी बदलेंगे। कैसे - समझाता हूँ ! अभी कुछ दिन पहले एक यजमान आए। मैं उनकी कुण्डली का विवेचन कर रहा था। अब हमारा वार्त्तालाप देखें –

“आप पर इस समय कोई कर्ज़ है”
“जी बिल्कुल भी नहीं”
“कोई कार फाईनैंस करवाई हो जिसकी किश्तें अभी चल रही हों”
“जी दो कारों की”

तो हुआ क्या। आजकल वाहन, मकान आदि के लिए कर्ज़ और उनका भुगतान बहुत सरल हो गया है। कर्ज़ लेने वाला इस बात को समझ ही नहीं पाता कि जब उसने कर्ज़ उठाया तो गिरवी उसका वाहन/ज़मीन नहीं बल्कि उसकी आगामी वर्षों की सम्भावित आय है!

बदलते परिवेश में अब कर्ज़े की दशा कोई वाहन या मकान आदि खरीदने की दशा बन गई है। अब ज्योतिषी के लिए चौकन्ना रहने का विषय यह है कर्ज़ अपने तय समय से उतर रहा है कि नहीं।

इस सत्य का एक पक्ष यह भी है कि अगर कर्ज़ सुलभ हुआ है तो चूककर्त्ता भी सुलभ हो गए हैं

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