आज से विषय को कुछ और गंभीर करते हैं। आज की चर्चा मुख्यतः पुरुष के स्वभाव में आए परिवर्तनों की है।
“तुम अब बदल गए हो। वो रहे ही नहीं जो पहले थे”
“अगर टीवी ही देखना था, तो शादी भी उसी से करते”
“जब तक तुम मुझे बताओगे ही नहीं तो मुझे पता कैसे चलेगा कि सम्स्या क्या है”
“मैं पागलों की तरह तुमसे पूछती रहती हूँ और तुम हो कि कोई जवाब ही नहीं देते”
“ज़रा कुछ पूछो तो चिल्लाने लगते हो”
“मैं सारा दिन तुम्हारा इंतज़ार करती हूँ और तुम शाम को आते हो और मुझसे बात भी नहीं करते”
(मन में) “इन्हें मेरी भावनाओं मे अब कोई दिलचस्पी ही नहीं, तो फायदा क्या दिल की बात कह कर”
हँसिए मत। सोचिए। कुछ कुछ यही हो रहा है न आपकी ज़िंदगी में। तो क्या किया जाए? वही सवाल जो सभी से पूछता हूँ – अगर दूध की पतीली गरम हो और पकडना जरूरी हो तो क्या करेंगी? किसी कपडे से पकडेगी। बस यही करना – सीधे हाथ नहीं जलाने।
मेरी बात को याद कीजिए – पुरुष और स्त्री की मूल प्रकृति अलग अलग है। पुरुष सामान्यतः जब घर लौटते हैं तो कुछ पल पूर्ण एकाकी चाहते हैं। इसे यूँ समझे कि सेल चार्ज हो रहे हैं। यह अंतराल हर पुरुष का अलग होगा।
अब आप कोई बात करना चाहते हैं तो क्या करें। केवल एक सरल संदेशा “मुझे तुमसे कुछ बात करनी है, जब ठीक समझो तो बताना”। और फिर खामोश रहें। ज्यादातर उत्तर “हूँ” “ठीक है” या एक खामोशी ही होंगे। बिल्कुल शांत रहे। उन्हें पूरा सहयोग दें अकेला छोडकर। कुछ देर बाद आप पाएँगे कि वे अब खुद आपसे बात करना चाह रहे हैं। आगे कल ...
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