Thought of the day

Life stream is guided by Destiny. But we are open to perform our daily karma. Our daily karma becomes a guideline to our destiny.

~ Jyotish Parichaye

Thursday, December 13, 2007

सरलतम उपाय – ज्योतिषीय मत

एक दिन मेरे ज्योतिष गुरू बोले “As we gain knowledge of the subject, we try to become local Brahma(s)” अर्थात – जैसे जैसे हम ज्योतिष में परांगत होते हैं हम जन साधारण के भाग्य-विधाता बनने का प्रयास करते हैं।

यही तो कर रहें हैं आजकल ज्योतिषी और यही तो हम चाहते भी हैं। आज जब क्लोनिंग का ज़माना है। हम अपनी होने वाली संतानों के रंग-रूप-स्वभाव को चयन करने की बात करने लगे हैं। स्वाभाविक है के हम चाहते हैं हमारे भाग्य पर हमारा नियंत्रण हो। तो लीजिए साहब आज जादूगर अपना पिटारा खोल कर सबसे कीमती खेल बता रहा है।

केवल दो बातें –
* पहला अपने कर्म अच्छे रखें
* दूसरा जो ईश्वर दे रहा है उसे सहर्ष स्वीकार करें

चौंकिए मत, नाराज़ भी मत हों। मेरे पास नया कुछ नहीं है, केवल वही है जो वेद कहते हैं। वेदों से बाहर ज्योतिष भी तो नहीं। कहीं किसी वेद-पुराण में भाग्य बदलने की बात नहीं हुई, केवल कर्म बदलने की बात हुई है। जब कर्म-फल भोगना ही है तो उसे अगले जन्म पर क्यों टालना। मित्रो, जब तक आपके कर्म और उनके भोगे फल एक शून्य पर आकर नहीं मिल जाते जन्म पर जन्म, भुगतान पर भुगतान।

जब भी हम उपाय की बात करते हैं और उस मार्ग पर जाते हैं तो हम क्या कर रहे हैं –
पहला, अपनी भुगतान अवधि को अगले जीवन काल तक बढा रहे हैं
दूसरा, ईश्वर के किए इंसाफ को चुनौती देकर एक पाप और बढा रहे हैं

गीता में भगवान कृष्ण स्पष्ट कहते हैं – ज्ञानी को भी दुःख मिलता है, किंतु वह इसे भी मेरा दिया प्रसाद समझकर सहर्ष स्वीकार करता है। यही मुक्ति का मार्ग है।

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