Thought of the day

I cannot choose how I feel, but I can choose what I do about it.

~ Jyotish Parichaye

Friday, October 26, 2007

साढे सात्ती – कितना सच कितनी भ्रांति

मेरी गलती माफ कीजिएगा! नया कुछ नहीं है मेरे पास कहने के लिए। सच पूछिए तो कभी भी नहीं होता। कहाँ से लाऊँ नया? जो कुछ भी मैंने सीखा है वह सब हज़ारों साल पहले हमारे महर्षि लिख चुके हैं। मैं तो केवल उनके बताए मार्ग का अनुसरण करता हूँ। बस इतना सा योगदान मेरा है कि इस बात का ध्यान रखता हूँ कि उनकी कही बात को आज के परिवेश में समझा सकूँ।

पर विडम्बना देखिए कि आप फिर भी नही मानेंगे। कोई बताएगा कि आपकी कुण्डली में साढे सात्ती चल रही है तो आप फिर उपाय पूछेंगे। फिर कोई खुद को ज्योतिषी बताने वाला आप ही में से किसी की भावनाओं के साथ खेलेगा। क्योंकि यह भी तो सच है कि हम ज्योतिषी के पास किसी परेशानी के समय ही जाते हैं और आशा करते हैं कि हमें उसका उपाय बताए!

एक बार लक्ष्मी जी और शनिदेव जी विष्णु जी के पास गए और पूछा कि हम दोनों में से कौन सुन्दर है। विष्णु जी ने उन्हें एक पेड तक जाकर वापस आने को कहा। जब वे वापस आए तो विष्णु जी बोले कि हे शनिदेव तुम जाते सुन्दर लग रहे थे और लक्ष्मी जी तुम आती सुन्दर लग रही थी।

अर्थ बहुत स्पष्ट है कि जब साढे सात्ती जाएगी तो शुभ फलदायी होगी। और बन्धुवर शनि जी तो एक तराज़ू जैसे हैं। एक पलडे में हमारे कर्म लेकर आते हैं तो दूसरे में उनके फल। अब आते शनि के भी शुभ फल चाहिए तो...
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