Thought of the day

Friday, November 16, 2007

क्यों चूकते हैं ज्योतिषी 1

ज्योतिषी के चूकने का सबसे बडा कारण स्वयं यजमान ही होता है। एक नगण्य प्रतिशत यजमान छोड दें तो सभी बहुत भाव से जाते हैं। और अगर कोई भाव से नहीं आया तो कुण्डली से देखना सीखो और उसी तरह उस व्यक्ति को परामर्श दो। मगर यह चर्चा उसी नगण्य प्रतिशत की है।

अक्सर यजमान ज्योतिषी पर भावनात्मक दबाव डालते हैं। जहाँ ज्योतिषी उस दबाव में आया कि चूक हुई। ऐसे शायद समझना आसान नहीं हो। कुछ उदाहरण देखिए –

किसी व्यक्ति ने अपने नए व्यापारिक उद्यम के बारे में पूछा। उसका प्रश्न होगा कि मैं यह काम करना चाहता हूँ। मान लीजिए काम व्यक्ति करना चाहता है और ज्योतिषी ने उत्तर दिया कि यह आपके लिए अच्छा नहीं। तत्काल उत्तर आएगा कि हम तो काम शुरू कर चुके हैं, अब क्या करें। क्या करेगा आम ज्योतिषी अब – चलो यह उपाय कर लो, तो काम चलता रहेगा। बदल गया विवेक और विवेचन। अब साहब किसी दूसरे पण्डित से मुहूर्त्त निकलवा कर काम शुरू कर लेंगे। बाद ठीकरा फूटेगा ज्योतिष और ज्योतिषी के सिर।

इसी तरह कुण्डली मिलान के समय अगर यजमान को कोई विशेष व्यक्ति पसंद है तो दबाव देखने वाला होता है। कुण्डली मिलान के ऐसे तरीके ढूँढ लाते हैं। ज्योतिषी को आत्म-ग्लानि होने लगती है कि आज तक कुछ सीखा ही नहीं था।

आने वाले लेखों में कुछ अन्य कारणों की चर्चा करूँगा जो शायद अधिक महत्त्वपूर्ण हैं।
Related Articles:


Copyright: © All rights reserved with Sanjay Gulati Musafir