Thought of the day

I cannot choose how I feel, but I can choose what I do about it.

~ Jyotish Parichaye

Saturday, November 10, 2007

मानसिक दबाव - सरल है उपचार

मानसिक दबाव बहुत ना-मुराद बिमारी है। बिमारी सभी बुरी हैं। पर मानसिक दबाव का रोगी कई स्तर पर जूझता है – मानसिक, शारीरिक व सामाजिक। शरीर से तो वे स्वस्थ ही दिखते हैं और कोई ऐसा यंत्र भी तो नहीं कि कोई नाप सके कि परेशानी कितनी और क्यों है। एक बात/सोच आम व्यक्ति को असर भी नहीं करती तो किसी रोगी को मानसिक दबाव में ले जा सकती है। परिस्थिति तब बिगडती है जब सबकी सलाह और शुरू हो जाए।

तो बन्धु, अब किसी को मानसिक दबाव में देखें तो पहला अच्छा काम यह करें कि उसे कोई सलाह मत दें। कर सकते हैं तो सहयोग करें –

* उस से सामान्य चर्चा करें। न एहसास दिलाएँ कि वह किस मनःस्थिति में है और न ही ऐसी बातों की चर्चा करें जिन्हे सोचकर उसका दबाव और बढे।

* यदि हठ ही करनी है तो नित्य संध्या उस व्यक्ति को टहलने के लिए लेकर जाएँ। कोशिश करें कि टहलने की गति बहुत धीमी हो। पहले कुछ कदम उन्हें भारी लगेंगे पर फिर फर्क दिखने लगेगा।

* टहलते हुए उस धर्मस्थली तक जाएँ जिसमें उस व्यक्ति की आस्था हो। कुछ समय वहाँ मौन में व्यतीत करें।

* टहलने जाते समय किसी भी सर्व-साधारण विषयों पर चर्चा करें। वापसी में केवल और केवल उन ही विषयों पर बात करें जिसकी चर्चा व्यक्ति स्वयं करे। अगर वह बात न करना चाहे तो उसे खामोशी का आनंद लेने दें। धीरे धीरे आप पाएंगे कि जाते समय वह खुद कोई चर्चा छेडेगा जिसे वापसी में पूरा करेगा।

* एक बात सदा याद रखें कि व्यक्ति दबाव से उबरने में समय लेगा। और हर व्यक्ति का समय चक्र अलग होगा। आपका असंतोष समस्या बढा सकता है तो आपका धीरज लाभकारी होगा।
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