Thought of the day

I cannot choose how I feel, but I can choose what I do about it.

~ Jyotish Parichaye

Sunday, December 16, 2007

पुरूषों के सेहत प्रसाधन

कल मैंने चर्चा की थी कि किस तरह हमारे सांसकृतिक श्रृंगार केवल सौंदर्य भर के लिए नहीं। किस तरह वे स्त्रियों की मदद करते हैं अपनी सेहत को बनाए रखने में। आज चर्चा पुरूषों के लिए।

कुछ दिन पहले कोई महानुभाव अपने लेख में कहते थे कि उन्हें हिन्दु-धर्म इसलिए अच्छा लगता है क्योंकि यह उनको आज़ादी देता है। पर सच यह है कि हिन्दु धर्म में स्वतंत्रता नहीं – सभी करने या न करने योग्य बातें बहुत स्पष्ट कही गई हैं। इतना समृद्ध और कोई धर्म या जीवन-शैली नहीं। सच यह भी है कि लोग दूसरे धर्मों की ओर आकर्षित होते ही इन्हीं बन्धनों से बचने के लिए हैं। नहीं तो क्या एक धर्म के अनुयायी होते हुए आप दूसरे धर्म की सीख का अनुसरण नहीं कर सकते – इसकी चर्चा शीघ्र ही करूँगा। अभी चर्चा है – हिन्दु धर्म में कही जीवन शैली की। हिन्दु होने में गौरव की बात ही यही है – जीवन शैली।

यहाँ पर सविनय कहना चाहता हूँ कि आपको अपना धर्म बदलने या छोडने का कोई सुझाव नहीं है। मैं इस सोच के भी खिलाफ हूँ।

हिन्दु धर्म ने पुरूषों को भी सेहत प्रसाधन दिए हैं। माथे पर चन्दन का तिलक मन को शांत करता है। मन को एकाग्रित करने में भी यह लाभदायक होता है। पर ऐसा केवल गर्मियों में। सर्दियों में चन्दन का तिलक और उस पर केसर/रौली का तिलक बहुत लाभदायक होता है। जहाँ चन्दन अपने नैसर्गिक गुण प्रदान करता है रौली/केसर अपनी ऊष्णता से मौसम के अनुकूल लाभ देते हैं।

कर्ण-छेदन भी पुरूषों में लाभकारी है। यह जननेंद्रियों के सामान्य स्वास्थ्य को ठीक रखता है। मगर कान छेद कर पहनी मुर्कियाँ (बाली के समान) ही जाएँ।

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