अपने पहले के लेखों में मैने चर्चा की थी कि पुरुष आमतौर पर एकाकी पल चहते हैं। उसके बाद जब वे कुछ खुलना शुरू करते हैं तो अक्सर कुछ ऐसा होता है कि बात वाद-विवाद में बदल जाती है।
यद्यपि अधिकतर पुरुषों में अपनी परेशानी बताने की आदत नहीं होती, पर कभी कभार सभी अपने मन की बात कह लेते हैं। अक्सर ऐसे समय पर वे अपनी परेशानियों का ज़िक्र करते हैं या अपनी उधेडबुन का। अपने सामान्य वृत्ति के अनुरूप स्त्री उन्हें सलाह देने लगती हैं और कुछ ही पल में पति झल्ला उठते हैं। कभी कभी यह झल्लाहट उनकी आदत का हिस्सा बन जाती है क्योंकि वे यह मानने लगते हैं कि यह आसान तरीका है संवाद खत्म करने का।
यदि आपके पति आप से अपने दिल की बात कह रहे हैं तो केवल सुनें और इस तरह कि आप समझने की कोशिश कर रही हैं। ध्यान रहे कोई सवाल मत पूछें। जब तक आपके पति खुद राय न मांगे राय मत दीजिए। और कभी भी ऐसे शब्द – “तुम गलत कर रहे हो” का प्रयोग मत करें। अपना मत रखना ही है तो “वैसे तुम बेहतर समझते हो, अगर यूँ सोच कर देखें” का प्रयोग करें।
अक्सर कुछ लोग ऐसी शिकायत करते है कि यह तो बनावटी जीवन जीने जैसा है। तो मित्रो, यह बनावटी जीवन जीना नहीं सिर्फ गर्म पतीली को कपडे से उठाने जैसा है – ताकि हाथ न जले।
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