Thought of the day

Astrology is said to be a window to Vedas just like vision to a man. An astrologer with the help time tested principles and various tools of prediction looks at the high & low tides in destiny and can unfold the mystery of future.

~ Jyotish Parichaye

Saturday, December 8, 2007

सही कैरियर का चुनाव 2

15 जनवरी 2005 में जब यह लडका मेरे पास आया तो कुछ बातें मैं कुण्डली देखते ही समझा गया -

* यह लडका अनिश्चितता के दौर से गुजर रहा है
* जीवन में कुछ तत्काल परिवर्तन चहता है
* अपने परिवार, अपने घर से दूर जल्दी कामयाब होगा
* मेरी राय जल्दी से नहीं मानेगा

अभी तक मैं इसकी कुण्डली से ही बातें कर रहा था। अब मेरा इस लडके से वार्त्तालाप देखिए –

“हाँ भाई, सब ठीक-ठाक है, फिर क्यों इतनी रात गए ज्योतिषी को तंग कर रहे हो!” (वह जयपुर से आया था और देर रात का समय लेकर ही दिल्ली के लिए निकला था)

“जी, घर वालों ने जबरदस्ती कम्पयूटर-इंजीनियरिंग में दाखिला दिलवा दिया। मेरा मन नहीं है करने का। क्या करूँ”

“मन-वन कुछ नहीं होता। शराफत से इंजीनियरिंग पूरी करो और फिर जॉब (नौकरी) करने बाहर (विदेश) जाओ”

वह हैरानी से मेरा मुँह तक रहा था।

“भैया मैं अजीब अजीब बातें ही करता हूँ। मेरे बारे में पता करके नहीं आए क्या”

बस इतनी सी बातचीत, दस मिनट की मुलाकात। मन मारकर पढाई करता रहा। हर साल कोशिश करता की अधमना होकर परीक्षा दूँ और फेल हो जाऊँ ताकि कम से कम घरवाले तो वापस बुला लें। उधर से घरवालों का डर और इधर मैं। बाकी कमी कॉलेज वाले उसे पास करके पूरी कर देते।

मैं हमेशा कहता हूँ दशा बदलेगी, दिशा बदल जाएगी। मुझे मार्च 2007 का इंतजार था और उसे मई (आखिरी परीक्षा) का।

दिसम्बर 2006 में मैं जयपुर में था। इसके किसी मित्र से बातचीत कर रहा था कि यह बोल उठा “समझ आ गया”। अचानक उसका मन ऐसा पलटा कि अच्छे अंक लेकर गत वर्षों की भी भरपाई कर गया। आज 29 नवम्बर 2007 जब मैं यह लेख लिख रहा हूँ यह ऑस्ट्रेलिया जाने की तैयारी कर रहा है।

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