अब मैंने उसका ब्यौरा शुरू किया – पहले उसके भाई-बहन, उसका व्यवसाय, उसके पिता का व्यव्साय। एक अल्पविराम लिया और उसकी ओर देखा। उसने ‘हाँ’ में सिर हिलाया। मैं आगे शुरू हुआ – उसकी पत्नी का रंग, कद, जाति, रूप, व्यव्साय। फिर उसकी ओर देखा। वह अचरज से कुण्डली को देखकर मुझसे बोला “यह मेरी कुण्डली है या मेरे पत्नी की”
शायद यह चर्चा करना महत्त्वपूर्ण नहीं था। मगर मैं जो कहना चाहता हूँ उसकी भूमिका के लिए जरूरी था।
कुण्डली एक डी.एन.ए. की तरह है, जिससे आप व्यक्ति के जीवन के हर प्रत्यक्ष व परोक्ष पहलू को देख सकते हैं। सवाल सिर्फ दो हैं –
* आप ईश्वर से कितना जुड कर ज्योतिष करते हैं
* ईश्वर ने आपको क्या कहने के लिए चुना है
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क्या पूछ सकते हैं आपसे?
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